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छक्खंडागमे वग्गणा-खंडं
[५, ५, ६५
है वहां काल साधिक एक मास है । जहां क्षेत्र घनरूप मनुष्यलोक है वहां काल एक वर्ष है। जहां क्षेत्र घनरूप रूचकवर द्वीप है वहां काल वर्षपृथक्त्व है । ६४ ॥
संखेज्जदिमे काले दीव-समुद्दा हवंति संखेज्जा । कालम्मि असंखेज्जे दीव-समुदा असंखेज्जा ॥ ६५ ॥
जहां काल संख्यात वर्ष प्रमाण होता है वहां क्षेत्र संख्यात द्वीप-समुद्र प्रमाण होता है और जहां काल असंख्यात वर्ष प्रमाण होता है वहां क्षेत्र असंख्यात द्वीप-समुद्र प्रमाण होता है ।
कालो चदुण्ण वुड्ढी कालो भजिदयो खेतवुड्ढीए । वुड्ढीए दव-पज्जय भजिदव्वा खेत्तकाला दु॥ ६६ ॥
काल चारोंकी वृद्धिको लिये हुए होता है- कालवृद्धिके होनेपर द्रव्य, क्षेत्र और भावी वृद्धि नियमतः होती है । क्षेत्रकी वृद्धि होनेपर कालकी वृद्धि होती भी है और नहीं भी होती है । तथा द्रव्य और पर्यायकी वृद्धिके होनेपर क्षेत्र और कालकी वृद्धि होती भी है और नहीं भी होती है ।। ६६ ॥
तेया-कम्मसरीरं तेयादव्वं च भासदव्वं च । बोद्धव्वमसंखेज्जा दीव-समुद्दा य वासा य ॥ ६७ ॥
जहां तैजसशरीर, कार्मणशरीर, तैजसवर्गणा और भाषावर्गणा द्रव्य होता है वहां क्षेत्र घनरूप असंख्यात द्वीप-समुद्र और काल असंख्यात वर्ष मात्र होता है || ६७ ॥
___अभिप्राय यह है कि जो अवधिज्ञान द्रव्यकी अपेक्षा तैजसशरीररूप पिण्डको ग्रहण करता है वह क्षेत्रकी अपेक्षा असंख्यात द्वीप-समुद्रोंको और कालकी अपेक्षा असंख्यात वर्षस्वरूप प्रतीत व अनागत कालको विषय करता है । जो अवधिज्ञान द्रव्यकी अपेक्षा कार्मणशरीरको ग्रहण करता है वह भी क्षेत्रकी अपेक्षा असंख्यात द्वीप-समुद्रोंको और कालकी अपेक्षा असंख्यात वर्षस्वरूप अतीत एवं अनागत कालको ही विषय करता है, परन्तु विशेष इतना समझना चाहिये कि तैजसशरीरको विषय करनेवाले उस अवधिज्ञानकी अपेक्षा इसका क्षेत्र और काल असंख्यातगुणा है। जो अवधिज्ञान द्रव्यकी अपेक्षा विस्रसोपचय रहित एक तैजस वर्गणाको विषय करता है वह भी क्षेत्रकी अपेक्षा असंख्यात द्वीप-समुद्रोंको तथा कालकी अपेक्षा असंख्यात वर्षोंको ही विषय करता है, परन्तु विशेषता यह है कि कार्मणशरीरको विषय करनेवाले अवविज्ञानके क्षेत्र और कालकी अपेक्षा इसका क्षेत्र और काल असंख्यातगुणा है। जो अवधिज्ञान द्रव्यकी अपेक्षा भाषा द्रव्य वर्गणाके एक स्कन्धको विषय करता है वह भी क्षेत्रकी अपेक्षा असंख्यात द्वीप-समुद्रोंको तथा कालकी अपेक्षा असंख्यात वर्षोंको ही विषय करता है, परन्तु विशेषता इतनी है कि एक तैजस वर्गणाको विषय करनेवाले उपर्युक्त अवधिज्ञानके क्षेत्र और काल असंख्यातगुणे हैं। यहां अवधिज्ञानकी जो यह
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