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५, ६, १२]
बंधणाणियोगद्दारे णामबंधपरूवणा
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जो सो णामबंधो णाम सो जीवस्स वा अजीवस्स वा जीवाणं वा अजीवाणं वा जीवस्स च अजीवस्स च जीवस्स च अजीवाणं च जीवाणं च अजीवस्स च जीवाणं च . अजीवाणं च जस्स णामं कीरदि बंधो त्ति सो सव्वो णामबंधो णाम ॥ ७॥
जो वह नामबन्ध है वह इस प्रकार है-- एक जीव, एक अजीव, बहुत जीव, बहुत अजीव, एक जीव और एक अजीव, एक जीव और बहुत अजीव, बहुत जीव और एक अजीव तथा बहुत जीव और बहुत अजीव; इन आठमेंसे जिसका ‘बन्ध' यह नाम किया है वह सब सब नामबन्ध है ॥ ७ ॥
___ जो सो दुवणबंधो णाम सो दुविहो- सम्भावट्ठवणबंधो चेव असब्भावट्ठवणबंधो चेव ॥ ८॥
स्थापना बन्ध दो प्रकारका है- सद्भावस्थापना बन्ध और असद्भावस्थापना बन्ध ॥ ८ ॥
जो सो सब्भावासब्भावट्ठवणबंधो णाम तस्स इमो णिद्देसो-कट्ठकम्मेसु वा चित्तकम्मेसु वा पोत्तकम्मेसु वा लेप्पकम्मेसु वा लेणकम्मेसु वा सेलकम्मेसु वा गिहकम्मेसु वा भित्तिकम्मेसु वा दंतकम्मेसु वा भेंडकम्मेसु वा अक्खो वा वराडओ वा जे चामण्णे एवमादिया सब्भाव-असब्भावट्ठवणाए ठविज्जदि बंधो त्ति सो सव्वो सम्भाव-असम्भावट्ठणबंधो णाम ॥९॥
जो वह सद्भावस्थापनाबन्ध और असद्भावस्थापनाबन्ध है उसका निर्देश इस प्रकार हैकाष्ठकोंमें, चित्रकर्मोमें, पोत्तकौमें, लेप्यकर्मों में, लयनकौमें, शैलकर्मों में, गृहकर्मों में, भित्तिकोंमें, दन्तकर्मों में और भेण्डकर्मोंमें तथा अक्ष या कौडी इनको आदि लेकर और भी जो दूसरे पदार्थ अभेदस्वरूपसे सद्भावनास्थापना तथा असद्भावसास्थापनामें 'यह बन्ध है' इस रूपसे स्थगित किये जाते हैं वह सब सद्भावस्थापनाबन्ध और असद्भावस्थापनाबन्ध है ॥ ९॥
जो सो दव्वबंधो णाम सो थप्पो ॥१०॥ जो वह द्रव्यबन्ध है उसे इस समय स्थगित किया जा सकता है ॥ १०॥
जो सो भावबंधो णाम सो दुविहो- आगमदो भावबंधो चेव णोआगमदो भावबंधो चेव ॥११॥
जो वह भावबन्ध है वह दो प्रकारका है-- आगमभावबन्ध और नोआगमभावबन्ध ॥११॥
जो सो आगमदो भावबंधो णाम तस्स इमो णिद्देसो- ठिदं जिदं परिजिदं वायणोवगदं सुत्तसमं अत्थसमं गंथसमं णामसमं घोससमं, जा तत्थ वायणा वा पुच्छणा वा पडिच्छणा वा परियदृणा वा अणुपेहणा वा थय-थुदि-धम्मकहा वा जे चामण्णे एवमादिया उवजोगा भावे ति कट्ट जावदिया उवजुत्ता भावा सो सबो आगमदो भावबंधो णाम ॥१२॥
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