Book Title: Shatkhandagam
Author(s): Pushpadant, Bhutbali, 
Publisher: Walchand Devchand Shah Faltan

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Page 855
________________ ७३० ] छक्खंडागमे वग्गणा-खंडं [५, ६, ५६ आहारशरीरस्कन्धोंकी जो एक ही जीवमें अवस्थित अन्य आहारशरीरस्कन्धोंके साथ बन्ध होता है वह आहार-आहारशरीरबन्ध है ॥ ५३ ॥ आहारशरीरस्कन्धोंका जो एक ही जीवमें अवस्थित तैजसशरीरस्कन्धोंके साथ बन्ध होता है वह आहार-तैजसशरीरबन्ध है ॥ ५४ ॥ आहारशरीरस्कन्धोंका जो एक ही जीवमें अवस्थित कार्मणशरीरस्कन्धोंके साथ बन्ध होता है वह आहारकार्मणशरीरबन्ध है ॥ ५५ ॥ ये तीन आहारशरीर सम्बन्धी द्विसंयोगी भंग हैं । आहार-तेया-कम्मइयसरीरबंधो ॥ ५६॥ एक ही जीवमें अवस्थित आहार, तैजस और कार्मण शरीरस्कन्धोंका जो परस्पर बन्ध होता है वह आहार-तैजस-कार्मणशरीरबन्ध है ।। ५६ ॥ यह एक आहारशरीर सम्बन्धी त्रिसंयोगी भंग है। तेया तेयासरीरबंधो ॥ ५७ ॥ तेया-कम्मइयसरीरबंधो ॥ ५८ ॥ एक ही जीवमें अवस्थित तैजसशरीररूप स्कन्धोंका जो अन्य तैजसशरीररूप स्कन्धोंके साथ बन्ध होता है उसका नाम तैजस-तैजसशरीरबन्ध है ॥ ५७ ॥ एक ही जीवमें अवस्थित तैजसशरीरस्कन्धोंका जो कार्मणशरीरस्कन्धोंके साथ बन्ध होता है वह तैजस-कार्मणशरीरबन्ध कहा जाता है ॥ ५८ ॥ ये तैजसशरीर सम्बन्धी दो भंग है । कम्मइय-कम्मइयसरीरबंधो ॥ ५९॥ एक जीवमें स्थित कार्मणशरीरस्कन्धोंका जो अन्य कार्मणशरीरस्कन्धोंके साथ बन्ध होता है उसका नाम कार्मण-कार्मणशरीरबन्ध है ॥ ५९॥ ___ यह एक भंग कार्मणशरीरबन्ध सम्बन्धी है। इसके अतिरिक्त कार्मण-औदारिकशरीरबन्ध और कार्मण-वैक्रियिकशरीरबन्ध आदि उसके और भी भंग सम्भव है, परन्तु वे चूंकि पूर्वमें निर्दिष्ट किये जा चुके हैं, अत एव उनका निर्देश पुनरुक्तिके कारण यहां फिरसे नहीं किया गया है, यह विशेष जानना चाहिये। सो सव्वो सरीरबंधो णाम ॥ ६०॥ पूर्वोक्त वह सब शरीरबन्ध है ॥ ६० ॥ जो सो सरीरिबंधो णाम सो दुविहो- सादियसरीरिबंधो चेव अणादियसरीरिबंधो चेव ॥ ६१॥ जो वह शरीरिबन्ध है वह दो प्रकारका है- सादिशरीरबन्ध और अनादिशरीरिबन्ध ।। जो सो सादियसरीरिबंधो णाम सो जहा सरीरबंधो तहाणेदव्यो ॥१२॥ जो वह सादिशरीरिबन्ध है उसकी प्ररूपणा शरीरबन्धके समान जाननी चाहिये ॥६२।। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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