Book Title: Shatkhandagam
Author(s): Pushpadant, Bhutbali, 
Publisher: Walchand Devchand Shah Faltan

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Page 860
________________ ५, ३, १०२] बंधणाणियोगद्दारे पत्तेयसरीरदव्ववग्गणा [७३५ प्रत्येकशरीरद्रव्यवर्गणाओंके ऊपर द्वितीय ध्रुवशून्यवर्गणा होती है ।। ९२ ॥ धुव्वसुण्णदव्ववग्गणाणुमुवरि बादरणिगोददव्ववग्गणा णाम ॥ ९३ ॥ ध्रुवशून्यद्रव्यवर्गणाओंके ऊपर बादरनिगोदद्रव्यवर्गणा होती है ॥ ९३ ॥ बादरनिगोददव्ववग्गणाणमुवरि धुवसुण्णदव्ववग्गणा णामं ॥ ९४ ॥ बादरनिगोदवर्गणाओंके ऊपर तृतीय ध्रुवशून्यवर्गणा होती है ॥ ९४ ॥ धुवसुण्णदव्ववग्गणाणमुवरि सुहुमणिगोदवग्गणा णाम ॥ ९५ ॥ ध्रुवशून्यद्रव्यवर्गणाओंके ऊपर सूक्ष्मनिगोदवर्गणा होती है ॥ ९५ ॥ सुहमणिगोददव्ववग्गणाणमुवरि धुवसुण्णदव्ववग्गणा णाम ॥ ९६ ॥ सूक्ष्मनिगोदद्रव्यवर्गणाओंके ऊपर चतुर्थ ध्रुवशून्यद्रव्यवर्गणा होती है ॥ ९६ ॥ धुवसुण्णवग्गणाणमुवरि महाखंधदव्ववग्गणा णाम ॥ ९७ ॥ ध्रुवशून्यवर्गणाओंके ऊपर महास्कन्धद्रव्यवर्गणा होती है ॥ ९७ ।। वग्गणाणिरूवणदाए इमा एयपदेसियपरमाणुपोग्गलदव्यवग्गणाणाम किं भेदेण किं संघादेण किं भेद-संघादेण ? ॥ ९८॥ वर्गणानिरूपणाकी अपेक्षा एकप्रदेशिक परमाणुपुद्गलवर्गणा क्या भेदसे होती है, क्या संघातसे होती है, या क्या भेद-संघातसे होती है ? ॥ ९८ ॥ उवरिल्लीणं दव्याणं भेदेण ॥ ९९ ॥ वह एकप्रदेशिकवर्गणा ऊपरके द्रव्योंके पूर्वोक्त द्विप्रदेशिक आदि उपरिम वर्गणाओंके भेदसे उत्पन्न होती हे ॥ ९९ ॥ इमा दुपदेसियपरमाणुपोग्गलदव्यवग्गणा णाम किं भेदेण किं संघादेण किं भेदसंघादेण ? ॥१०॥ ___ यह द्विप्रदेशिक परमाणुपुद्गलद्रव्यवर्गणा क्या भेदसे होती है, क्या संघातसे होती है, या क्या भेद-संघातसे होती है ? ॥ १०० ॥ उवरिल्लीण दव्वाणं भेदेण हेडिल्लीणं दव्याणं संघादेण सत्थाणेण भेद-संघादेण ॥ ___ वह द्विप्रदेशिक परमाणुपुद्गलद्रव्यवर्गणा ऊपरके द्रव्योंके भेदसे और नीचेके द्रव्योंके संघातसे तथा स्वस्थानमें भेद-संघातसे होती है ॥ १०१ ॥ तिपदेसियपरमाणुपोग्गलदव्ववग्गणा चदु-पंच-छ-सत्त- अट्ठ-णव-दस-संखेज्जअसंखेज्ज-परित्त-अपरित्त-अणंत-अणंताणंतपदेसियपरमाणुपोग्गलदव्यवग्गणा णाम किं भेदेण किं संघादेण किं भेद-संघादेण? ॥ १०२ ॥ त्रिप्रदेशी परमाणुपुद्गलद्रव्यवर्गणा चारप्रदेशी, पांचप्रदेशी, छहप्रदेशी, सातप्रदेशी, Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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