Book Title: Shatkhandagam
Author(s): Pushpadant, Bhutbali, 
Publisher: Walchand Devchand Shah Faltan

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Page 847
________________ ७२२ ] छक्खंडागमे वग्गणा-खंड [ ५, ६, १९ सर्व दुःख- अन्तकृतत्व एवं इनको आदि लेकर और भी जो क्षायिक भाव है उस सबको क्षायिक अविपाकप्रत्ययिक जीवभावबन्ध जानना चाहिये ॥ १८ ॥ जो सो तदुभयपच्चइयो जीवभावबंधो णाम तम्स इमो णिद्देसो- खओवसमियं एइंदियलद्धित्ति वा खओवसमियं वीइंदियलद्धि त्ति वा खओवसमियं तीइंदियलद्धि तिवा खओवसमियं चउरिंदियलद्धि त्ति वा खओवसमियं पंचिंदियलद्धि त्ति वा खओवसमियं मदिअण्णाणि ति वा खओवसमियं सुदअण्णाणि त्ति वा खओवसमियं विहंगणाणि त्ति वा खओवसमियं आभिणिबोहियणाणि त्ति वा खओवसमियं सुदणाणि त्ति वा खओवसमियं ओहिणाणि त्ति वा खओवसमियं मणपज्जवाणि त्ति वा खओवसमियं चक्खुदंसणित्ति वा खओवसमियं अचक्खुदंसणि त्ति वा खओवसमियं ओहिदंसणि त्ति वा खओवसमियं सम्मामिच्छत्तलद्धि त्ति वा खओवसमियं सम्मत्तलद्धित्ति वा खओवसमियं संजमासंजमलद्धि त्ति वा खओवसमियं संजमलद्धि त्ति वा खओवसमियं दाणलद्धि त्ति वा खओवसमियं लाहलद्धित्ति वा खओवसमियं भोगलद्धि त्ति वा खओवसमियं परिभोगलद्धि त्ति वा खओवसमियं वीरियलद्धि त्ति वा खओसमियं से आयारधरे त्ति वा खओवसमियं सूदयडधरे वा खओवसमियं ठाणधरे त्ति वा खओवसमियं समवायधरे त्ति वा खओवसमियं वियाहपण्णत्तधरेत्ता खओवसमियं णाहधम्मधरे त्ति वा खओवसमियं उवासयज्झेणधरे त्ति वा खओवसमियं अंतयडधरे त्ति वा खओवसमियं अणुत्तरोववादियदसधरे त्ति वा खओअसमियं पण्णवागरणधरे त्ति वा खओवसमियं विवागमुत्तधरे त्ति वा खओवसमियं दिट्टिवादधरे त्ति वा खओवसमियं गणित्ति वा खओवसमियं वाचगे त्ति वा खओवसमियं दस पुव्वहरे त्ति वा खओवस मियं चोहसपुव्वहारे त्ति वा जे चामण्णे एवमादिया खओवसमियभावा सो सन्चो तदुभयपच्चइओ जीवभावबंध - णाम ।। १९ ॥ जो वह तदुभयप्रत्ययिक जीवभावबन्ध है उसका निर्देश इस प्रकार है- क्षायोपशमिक एकेन्द्रियलब्धि, क्षायोपशमिक द्वीन्द्रियलब्धि, क्षायोपशमिक त्रीन्द्रियलब्धि, क्षायोपशमिक चतुरिन्द्रियलब्धि, क्षायोपशमिक पंचेन्द्रियलब्धि, क्षायोपशमिक मत्यज्ञानी, क्षायोपशमिक श्रुताज्ञानी, क्षायोपशमिक विभंगज्ञानी, क्षायोपशमिक आभिनिबोधिकज्ञानी, क्षायोपशमिक श्रुतज्ञानी, क्षायोपशमिक अवधिज्ञानी, क्षायोपशमिक मन:पर्ययज्ञानी, क्षायोपशमिक चक्षुदर्शनी, क्षायोपशमिक अचक्षुदर्शनी, क्षायोपशमिक अवधिदर्शनी, क्षायोपशमिक सम्यग्मिथ्यात्वलब्धि, क्षायोपशमिक सम्यक्त्वलब्धि, क्षायोपशमिक संयमासंयमलब्धि, क्षायोपशमिक संयमलब्धि, क्षायोपशमिक दानलब्धि, क्षायोपशमिक लाभलब्धि, क्षायोपशमिक भोगलब्धि, क्षायोपशमिक परिभोगलब्धि, क्षायोपशमिक वीर्यलब्धि, क्षायोपशमिक आचारधर, क्षायोपशमिक सूत्रकृतधर, क्षायोपशमिक स्थानधर, क्षायोपशमिक समवायधर, क्षायोपशमिक व्याख्याप्रज्ञप्तिधर, क्षायोपशमिक नाथधर्मधर, क्षायोपशमिक उपासकाध्ययनधर; क्षायोपशमिक अन्तकृतधर, क्षायोपशमिक अनुत्तरौपपादिकदशधर, क्षायोपशमिक प्रश्नव्याकरणधर, क्षायोपशमिक विपाकसूत्रधर, Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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