Book Title: Shatkhandagam
Author(s): Pushpadant, Bhutbali, 
Publisher: Walchand Devchand Shah Faltan

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Page 838
________________ ५, ५, १२४] पयडिअणिओगद्दारे नामपयडिपरूवणा [ ७१३ आतापनामकर्म, उद्योतनामकर्म, विहायोगतिनामकर्म, त्रसनामकर्म, स्थावरनामकर्म, बादरनामकर्म, सूक्ष्मनामकर्म, पर्याप्तनामकर्म, अपर्याप्तनामकर्म, प्रत्येकशरीरनामकर्म, साधारणशरीरनामकर्म, स्थिरनामकर्म, अस्थिरनामकर्म, शुभनामकर्म, अशुभनामकर्म, दुर्भगनामकर्म, सुस्वरनामकर्म, दुस्वरनामकर्म, आदेयनामकर्म, अनादेयनामकर्म, यशःकीर्तिनामकर्म, अयशःकीर्तिनामकर्म, निर्माणनामकर्म और तीर्थंकरनामकर्म !॥ ११८ ॥ जं तं गदिणामकम्मं तं चउब्विहं-णिरयगइणामं तिरिक्खगइणामं मणुस्सगदिणामं देवगदिणामं ॥ ११९ ॥ __ जो वह गतिनामकर्म है वह चार प्रकारका है- नरकगति नामकर्म, तिर्यञ्चगति नामकर्म, देवगति नामकर्म और मनुष्यगति नामकर्म ॥ ११९ ॥ जं तं जादिणामं तं पंचविहं- एइंदियजादिणामं बेइंदियजादिणामं तेइंदियजादिणामं चउरिंदियजादिणामं पंचिंदियजादिणामं चेदि ॥ १२० ॥ जो वह जाति नामकर्म है वह पांच प्रकारका है- एकेन्द्रियजातिनामकर्म, द्वीन्द्रियजातिनामकर्म, त्रीन्द्रियजातिनामकर्म, चतुरिन्द्रियजातिनामकर्म, और पंचेन्द्रियजातिनामकर्म ।। १२० ॥ जंतं सरीरणामं तं पंचविहं- ओरालियसरीरणामं वेउब्बियसरीरणामं आहारसरीरणामं तेजइयसरीरणामं कम्मइयसरीरणामं चेदि ॥ १२१ ॥ जो वह शरीर नामकर्म है वह पांच प्रकारका है- औदारिकशरीर, वैक्रियिकशरीर, आहारकशरीर, तैजसशरीर और कार्मणशरीर नामकर्म ॥ १२१ ॥ जं तं सरीरबंधणणामं तं पंचविहं- ओरालियसरीरबंधणणामं वेउव्वियसरीरबंधणणाम आहारसरीरबंधणणामं तेजइयसरीरबंधणणामं कम्मइयसरीर बंधणणामं चेदि ॥ जो वह शरीरबन्धन नामकर्म है वह पांच प्रकारका है- औदारिकशरीरबन्धन, वैक्रियिकशरीरबन्धन, आहारकशरीरबन्धन, तैजसशरीरबन्धन और कार्मणशरीरबन्धन नामकर्म ॥ १२१ ॥ जं तं सरीरसंघादणणामं तं पंचविहं- ओरालियसरीरसंघादणणामं वेउब्वियसरीरसंघादणणामं आहारसरीरसंघादणणामं तेजइयसरीरसंघादणणामं कम्मइयसरीरसंघादणणामं चेदि ॥१२३ ॥ ___ जो वह शरीरसंघातन नामकर्म है वह पांच प्रकारका है- औदारिकशरीरसंघातन, वैक्रियिकशरीरसंघातन, आहारकशरीरसंघातन, तैजसशरीरसंघातन और कार्मणशरीरसंघातन नामकर्म ॥ जं तं सरीरसंठाणणामं तं छव्विहं- समचउरसरीरसंठाणणामं णग्गोहपरिमंडलसरीरसंठाणणामं सादियसरीरसंठाणणामं खुज्जसरीरसंठाणणामं वामणसरीरसंठाणणामं हुंडसरीर संठाणणामं चेदि ॥ १२४ ॥ छ. ९० Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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