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६९०] छक्खंडागमे वग्गणा-खंडं
[५, ३, ११ ___जो सो दव्वफासो णाम ॥ ११ ॥ जं दव्वं दव्वेण पुसदि सो सव्यो दव्वफासो णाम ॥ १२ ॥
___अब द्रव्य स्पर्शका अधिकार है ॥ ११ ॥ जो एक द्रव्य दूसरे द्रव्यसे स्पर्शको प्राप्त होता है वह सब द्रव्यस्पर्श है ॥ १२ ॥
अभिप्राय यह कि एक पुद्गल द्रव्यका जो शेष पुद्गल द्रव्योंके साथ संयोग अथवा समवाय होता है उसे द्रव्यस्पर्श जानना चाहिये, अथवा जीव द्रव्यका जो पुद्गल द्रव्यके साथ संयोग सम्बन्ध है उसे द्रव्यस्पर्श जानना चाहिये ।
जो सो एयक्खेत्तफासो णाम ॥ १३ ॥ जं दव्वमेयक्खेत्तणे पुसदि सो दव्वो एयक्खेत्तफासोणाम ॥ १४ ॥
___अब एकक्षेत्रस्पर्शका अधिकार है ।। १३ ॥ जो द्रव्य एक क्षेत्रके साथ स्पर्श करता है वह सब एकक्षेत्रस्पर्श है ॥ १४ ॥
जो सो अणंतरक्खेत्तफासो णाम ॥ १५ ॥ जं दव्वमणंतरक्खेत्तेण पुसदि सो सव्वो अणंतरक्खेत्तफासो णाम ॥ १६ ॥
____ अब अनन्तरक्षेत्रस्पर्शका अधिकार है ॥ १५ ॥ जो द्रव्य अनन्तर क्षेत्रके साथ स्पर्श करता है वह सब अनन्तरक्षेत्रस्पर्श है ॥ १६ ॥
आकाशके दो प्रदेशोंमें स्थित द्रव्योंका जो अन्य दो आकाश प्रदेशों व तीन आदि आकाश प्रदेशोंमें स्थित द्रव्योंके साथ स्पर्श होता है उसका नाम अनन्तरक्षेत्रस्पर्श है, यह अभिप्राय समझना चाहिये ।
जो सो देसफासो णाम ॥ १७ ॥ जं दव्वदेसं देसेण पुसदि सो सव्वो देसफासो णाम ॥१८॥
अब देशस्पर्शका अधिकार है ॥ १७ ॥ जो द्रव्य एक देशरूपसे स्पर्श करता है वह सब देशस्पर्श है ॥ १८ ॥
एक द्रव्यके अवयवका अन्य द्रव्यके अवयवके साथ जो स्पर्श होता है उसका नाम देशस्पर्श है, ऐसा समझना चाहिये ।
जो सो तयफासो णाम ॥ १९ ॥ जं दव्वं तयं वा णोतयं वा पुसदि सो सव्वो तयफासो णाम ॥२०॥
अब त्वक्स्पर्शका अधिकार है ॥ १९॥ जो द्रव्य त्वचा या नोत्वचाका स्पर्श करता है वह सब त्वक्स्पर्श है ॥ २० ॥
जो सो सव्वफासो णाम ॥ २१॥ जं दव्वं सव्वेण फुसदि, जहा, परमाणुदवमिदि, सो सव्वो सव्वफासो णाम ॥ २२ ॥
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