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६५४] छक्खंडागमे वेयणाखंडं
[४, २, १३, ४ जो वह स्वस्थानवेदनासंनिकर्ष है वह दो प्रकारका है- जघन्य स्वस्थानवेदनासंनिकर्ष और उत्कृष्ट स्वस्थानवेदनासंनिकर्ष ॥ ३ ॥
जो सो जहण्णओ सत्थाणवेयणसण्णियासो सो थप्पो ॥ ४॥ ___ जो वह जघन्य स्वस्थानवेदनासंनिकर्ष है उसकी प्ररूपणा इस समय स्थगित की जाती है ॥ ४ ॥
जो सो उक्कस्सओ सत्थाणवेयणसण्णियासो सो चउबिहोदव्वदो खेत्तदो कालदो भावदो चेदि ॥५॥
___ जो वह उत्कृष्ट स्वस्थानवेदनासंनिकर्ष है वह चार प्रकारका है- द्रव्यसे, क्षेत्रसे, कालसे और भावसे ॥ ५ ॥
जस्स णाणावरणीयवेयणा दव्वदो उक्कस्सा तस्स खेत्तदो किमुक्कस्सा अणुक्कस्सा ? ॥६॥
जिस जीवके ज्ञानावरणीयवेदना द्रव्यकी अपेक्षा उत्कृष्ट होती है उसके वह क्षेत्रकी अपेक्षा क्या उत्कृष्ट होती है या अनुत्कृष्ट ? ॥ ६ ॥
णियमा अणुक्कस्सा असंखेज्जगुणहीणा ॥ ७॥ वह नियमसे अनुत्कृष्ट होती हुई असंख्यातगुणी हीन होती है ॥ ७ ॥ तस्स कालदो किमुक्कस्सा अणुक्कस्सा ? ॥८॥ उक्त जीवके वह कालकी अपेक्षा क्या उत्कृष्ट होती है अथवा अनुत्कृष्ट ? ॥ ८ ॥ उक्कस्सा वा अणुक्कस्सा वा ॥९॥ उक्कस्सादो अणुक्कस्सा समऊणा ॥१०॥
उसके वह कालकी अपेक्षा उत्कृष्ट भी होती है और अनुत्कृष्ट भी ॥ ९॥ उत्कृष्टकी अपेक्षा वह अनुत्कृष्ट एक समय हीन होती है ॥ १० ॥
तस्स भावदो किमुक्कस्सा अणुक्कस्सा ? ॥११॥ उसके भावकी अपेक्षा वह क्या उत्कृष्ट होती है अथवा अनुत्कृष्ट ? ॥ ११ ॥ उक्कस्सा वा अणुक्कस्सा वा ॥१२॥ उक्कस्सादो अणुक्कस्सा छट्ठाणपदिदा ॥
भावकी अपेक्षा वह उसके उत्कृष्ट भी होती है और अनुत्कृष्ट भी ॥ १२ ॥ उत्कृष्टकी अपेक्षा वह अनुत्कृष्ट वेदनाषट्स्थानपतित होती है ॥ १३ ॥
यदि द्विचरम समयवर्ती नारकी उत्कृष्ट संक्लेशके साथ उत्कृष्ट प्रत्ययद्वारा उत्कृष्ट अनुभागको बांधता है तो उसके उत्कृष्ट भाववेदना होती है। परन्तु यदि तदनुकूल उत्कृष्ट प्रत्ययविशेष नहीं है तो नियमसे अनुत्कृष्ट भाववेदना होती है ।
यह अनुत्कृष्ट भाववेदना इन छह प्रकारकी हानियोंमें पतित है
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