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४, २, १४, १] वेयणमहाहियारे वेयणपरिमाणविहाणं
[६७९ जिसके गोत्रकी वेदना भावकी अपेक्षा जघन्य होती है उसके शेष सात कर्मोंकी वेदना भावकी अपेक्षा क्या जघन्य होती है या अजघन्य ? ॥ ३१९ ॥ उसके वह नियमसे अजघन्य और अनन्तगुणी अधिक होती है ॥ ३२० ॥
॥ वेदनासंनिकर्ष अनुयोगद्वार समाप्त हुआ ॥ १३ ॥
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१४. वेयणपरिमाणविहाणं वेयणपरिमाणविहाणे त्ति ॥१॥ अब वेदनापरिमाणविधान अनुयोगद्वारका अधिकार है ॥ १ ॥
तत्थ इमाणि तिण्णि अणियोगद्दाराणि-पगदिअट्ठदा समयपबद्धट्ठदा खेत्तपच्चासए त्ति ॥२॥
उसमें ये तीन अनुयोगद्वार है-- प्रकृत्यर्थता, समयप्रबद्धार्थता और क्षेत्रप्रत्यास ॥ २ ॥
पगदिअट्ठदाए णाणावरणीय-दंसणावरणीय कम्मस्स केवडियाओ पयडीओ ? ॥३॥णाणावरणीय-दंसणावरणीय कम्मस्स असंखेज्जलोग पयडीओ ॥ ४ ॥ एवदियाओ पयडीओ ॥५॥
प्रकृति-अर्थता अधिकारकी अपेक्षा ज्ञानावरणीय और दर्शनावरणीय कर्मकी कितनी प्रकृतियां है ? ॥ ३ ॥ ज्ञानावरण और दर्शनावरण असंख्यात लोक प्रमाण प्रकृतियां हैं ॥४॥ इतनी मात्र उनकी प्रकृतियां हैं ॥ ५ ॥
वेदणीयस्स कम्मस्स केवडियाओ पयडीओ ? ॥६॥ वेयणीयस्स कम्मस्स दुवे पयडीओ ॥७॥ एवदियाओ पयडीओ ॥ ८॥
__ वेदनीय कर्मकी कितनी प्रकृतियां है ॥ ६ ॥ वेदनीय कर्मकी दो प्रकृतियां है ॥ ७ ॥ उसकी इतनी ही प्रकृतियां हैं ॥ ८ ॥
सातावेदनीय और असातावेदनीय इस प्रकार दो भेद हैं। जितने स्वभाव होते हैं उतनीही प्रकृतियां होती हैं ।
मोहणीयस्स कम्मस्स केवडियाओ पयडीओ ? ॥९॥ मोहणीयस्स कम्मस्स अट्ठावीसं पयडीओ ॥ १० ॥ एवदियाओ पयडीओ ॥ ११ ॥
___ मोहनीय कर्मकी कितनी प्रकृतियां हैं ? ॥२॥ मोहनीय कर्मकी अट्ठाईस प्रकृतियां है ॥ १० ॥ उसकी इतनी प्रकृतियां हैं ॥ ११ ॥
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