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६८०] छक्खंडागमे वेयणाखंड
[४, २, १४, १२ १ मिथ्यात्व, सम्यक्त्व, सम्यग्मिथ्यात्व, अनन्तानुबन्धीक्रोध, मान, माया, लोभ, अप्रत्याख्यानावरणीय क्रोध, मान, माया, लोभ, प्रत्याख्यानावरणीय क्रोध, मान, माया, लोभ, संज्वलनक्रोध, मान, माया, लोभ, हास्य, रति, अरति, शोक, भय, जुगुप्सा, स्त्रीवेद, पुरुषवेद और नपुंसकवेदके भेदसे मोहनीय कर्मकी अट्ठाईस प्रकृतियां है ।
आउअस्स कम्मस्स केवडियाओ पयडीओ ? ॥ १२ ॥ आउअस्स कम्मस्स चत्तारि पयडीओ ॥ १३ ॥ एवडियाओ पयडीओ ॥ १४ ॥
___आयुकर्मकी कितनी प्रकृतियां हैं ? ॥ १२ ॥ आयु कर्मकी चार प्रकृतियां है ॥ १३ ॥ उसकी इतनी प्रकृतियां है ॥ १४ ॥
देव, मनुष्य, तिर्यंच और नारक पर्यायको धारण करनेवाली आयुकर्मकी चार प्रकृतियां हैं।
णामस्स कम्मस्स केवडियाओ पयडीओ? ॥१५॥णामस्स कम्मस्स असंखेज्जलोगमेत्तपयडीओ ॥ १६ ॥ एवदियाओ पयडीओ ॥१७॥
नामकर्मकी कितनी प्रकृतियां है ? ॥ १५ ॥ नामकर्मकी असंख्यात लोक मात्र प्रकृतियां हैं ॥ १६ ॥ उसकी इतनी प्रकृतियां हैं ॥ १७ ॥
नामकर्मकी गति, आदि ९३ व्याणव प्रकृतियां है ।
गोदस्स कम्मस्स केवडियाओ पयडीओ ? ॥ १८ ॥ गोदस्स कम्मस्स दुवे पयडीओ ॥ १९ ॥ एवदियाओ पयडीओ ॥ २० ॥
गोत्र कर्मकी कितनी प्रकृतियां हैं ? ॥ १८ ॥ गोत्र कर्मकी दो प्रकृतियां हैं ॥ १९ ।। उसकी इतनी प्रकृतियां हैं ॥ २० ॥
उच्चगोत्र और नीच गोत्र इस प्रकार दो प्रकृतियां है ।
अंतराइयस्स कम्मस्स केवडियाओ पयडीओ ? ॥ २१ ॥ अंतराइयस्स कम्मस्स पंच पयडीओ ॥ २२ ॥ एवदियाओ पयडीओ ॥ २३ ॥
अन्तराय कर्मकी कितनी प्रकृतियां है ? ॥ २१ ॥ अन्तराय कर्मकी पांच प्रकृतियां हैं ॥ २२ ॥ उसकी इतनी प्रकृतियां हैं ॥ २३ ॥
अन्तरायकर्मकी दान, लाभ, भोग, उपभोग, वीर्य ये पाँच प्रकृतियां हैं । समयपबद्धदाए ॥ २४ ॥ अब समयप्रबद्धार्यताका अधिकार है ॥ २४ ॥
णाणावरणीय - दंसणावरणीय - अंतराइयस्स केवडियाओ पयडीओ ? ॥ २५ ॥ णाणावरणीय -दसणावरणीय-अंतराइयस्स कम्मस्स एक्केका पयडी तासं तीसं सागरोवमकोडाकोडीयो समयपबद्धट्ठदाए गुणिदाए ॥ २६ ॥ एवदियाओ पयडीओ ॥२७॥
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