________________
४, २, १३, ७६ ] वेयणमहाहियारे वेयणसण्णियासविहाणाणियोगद्दारं
[ ६५९.
जस्स वेयणीयणा भावदो उक्कस्सा तस्स दव्वदो किमुक्कस्सा अणुक्कस्सा 2 ।। ६३ ।। णियमा अणुक्कस्सा चउट्ठाणपदिदा ॥ ६४ ॥
जिसके वेदनीयकी वेदना भावकी अपेक्षा उत्कृष्ट होती है उसके द्रव्यकी अपेक्षा क्या उत्कृष्ट होती है या अनुत्कृष्ट ? || ६३ ॥ वह उसके नियमसे अनुत्कृष्ट और चार स्थानों में पतित होती है ॥ ६४ ॥
१
तस्स खेत्तदो कमुक्कस्सा अणुक्कस्सा ? || ६५ ।। उक्कस्सा वा अणुक्कस्सा वा ॥ उसके क्षेत्रकी अपेक्षा वह क्या उत्कृष्ट होती है या अनुत्कृष्ट ? ॥ ६५ ॥ वह उसके उत्कृष्ट भी होती है और अनुत्कृष्ट भी होती है ॥ ६६ ॥
उक्कसादो अणुक्कस्सा विद्वाणपदिदा असंखेज्जभागहीणा वा असंखेज्जगुणहीणा वा ॥ ६७ ॥
उत्कृष्टकी अपेक्षा वह अनुत्कृष्ट असंख्यात भागहीन और असंख्यातगुणहीन इन दो स्थानों में पतित होती है ॥ ६७ ॥
तस्स कालदो किमुक्कस्सा अणुक्कस्सा ! || ६८ ॥ णियमा अणुक्कस्सा असंखेज्जगुणहीणा ॥ ६९ ॥
उसके कालकी अपेक्षा उक्त वेदना क्या उत्कृष्ट होती है या अनुत्कृष्ट ? ॥ ६८ ॥ वह उसके नियमसे अनुत्कृष्ट और असंख्यातगुणी हीन होती है ॥ ६९ ॥
एवं णामा - गोदाणं ॥ ७० ॥
इसी प्रकार नाम और गोत्र कर्मोंके विषय में भी प्रकृत प्ररूपणा जानना चाहिये ॥ ७० ॥ जस्स आउअवेयणा दव्वदो उक्कस्सा तस्स खेत्तदो किमुक्कस्सा अणुक्कस्सा ? ।। ७१ ।। णियमा अणुक्कस्सा असंखेज्जगुणहीणा ॥ ७२ ॥
जिस जीवके आयु कर्मकी वेदना द्रव्यसे उत्कृष्ट होती है उसके वह क्या क्षेत्रसे उत्कृष्ट होती है या अनुत्कृष्ट ? ॥ ७१ ॥ वह उसके नियमसे अनुत्कृष्ट और असंख्यातगुणी हीन होती है ॥ स कालो किमुक्कस्सा अणुक्कस्सा ? || ७३ || णियमा अणुक्कस्सा असंखेज्जहा ॥ ७४ ॥
उसके उक्त वेदना कालकी अपेक्षा क्या उत्कृष्ट होती है या अनुत्कृष्ट ? ॥ ७३ ॥ उसके वह नियमसे अनुत्कृष्ट व असंख्यातगुणी हीन होती है ॥ ७४ ॥
aa भावदो किमुक्कस्सा अणुक्कस्सा ? ॥ ७५ ॥ णियमा अणुक्कस्सा अतगुणहीणा ॥ ७६ ॥
उसके उक्त वेदना भावकी अपेक्षा क्या उत्कृष्ट होती है या अनुत्कृष्ट ? ॥ ७५ ॥ उसके वह नियमसे अनुत्कृष्ट अनन्तगुणी हीन होती है ॥ ७६ ॥
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org