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४, २, १३, २५८ ] वेयणमहाहियारे वेयणसण्णियासविहाणं , [६७३
जस्स णाणावरणीयवेयणा भावदो उक्कस्सा तस्स दंसणावरणीय - मोहणीयअंतराइयवेयणा भावदो किमुक्कस्सा अणुक्कस्सा ? ॥२४६॥ उक्कस्सा वा अणुक्कस्सा वा, उक्कस्सादो अणुक्कस्सा छट्ठाणपदिदा ॥ २४७ ॥
जिसके ज्ञानावरणीयकी वेदना भावकी अपेक्षा उत्कृष्ट होती है उसके दर्शनावरणीय, मोहनीय और अन्तराय कर्मकी वेदना भावकी अपेक्षा क्या उत्कृष्ट होती है या अनुत्कृष्ट ? ॥२४६॥ उसके वह उत्कृष्ट भी होती है और अनुत्कृष्ट भी। उत्कृष्ट से अनुत्कृष्ट छह स्थानों में पतित होती है ।
__ तस्स वेयणीय - आउव - णामा-गोदवेयणा भावदो किमुक्कस्सा अणुक्कस्सा ? ॥ २४८ ॥ णियमा अणुक्कस्सा अणंतगुणहीणा ॥ २४९ ॥
उसके वेदनीय आयु, नाम और गोत्रकी वेदना भावकी अपेक्षा क्या उत्कृष्ट होती है या अनुत्कृष्ट ? ॥ २४८ ।। उसके वह नियमसे अनुत्कृष्ट और अनन्तगुणहीन होती है ॥ २४९ ॥
एवं दंसणावरणीय-मोहणीय-अंतराइयाणं ॥ २५० ॥
इसी प्रकार दर्शनावरणीय, मोहनीय और अन्तरायके भी संनिकर्षकी प्ररूपणा जाननी चाहिये ॥ २५० ॥
- जस्स वेयणीयवेयणा भावदो उक्कस्सा तस्स णाणावरणीय -दंसणावरणीयअंतराइयवेयणा भावदो सिया अत्थि सिया णत्थि ।। २५१॥ जदि अत्थि भावदो किमुक्कस्सा अणुक्कस्सा ? ॥ २५२ ॥ णियमा अणुक्कस्सा अणंतगुणहीणा ॥ २५३ ॥
जिस जीवके वेदनीयकी वेदना भावकी अपेक्षा उत्कृष्ट होती है उसके ज्ञानावरणीय, दर्शनावरणीय और अन्तरायकी वेदना भावकी अपेक्षा कथंचित् होती है और कथंचित् नहीं भी होती है ॥ २५१ ॥ यदि होती है तो वह भावकी अपेक्षा क्या उत्कृष्ट है या अनुत्कृष्ट ? ॥२५२॥ वह नियमसे अनुत्कृष्ट और अनन्तगुणहीन होती है ॥ २५३ ॥
तस्स मोहणीय वेयणा भावदो णत्थि ॥ २५४ ॥ उक्त जीवके मोहनीयकी वेदना भावकी अपेक्षा नहीं होती है ॥ २५४ ॥
तस्स आउअवेयणा भावदो किमुक्कस्सा अणुक्कस्सा ? ॥ २५५ । णियमा अणुक्कस्सा अणंतगुणहीणा ॥ २५६ ॥
उसके आयुकर्मकी वेदना भावकी अपेक्षा क्या उत्कृष्ट होती है या अनुत्कृष्ट ? ॥२५५॥ उसके वह नियमसे अनुत्कृष्ट होकर अनन्तगुणी हीन होती है ॥ २५६ ॥
तस्स णामा-गोदवेयणा भावदो किमुक्कस्सा अणुक्कस्सा ? ॥२५७॥ उक्कस्सा ॥
उसके नाम व गोत्र कर्मकी वेदना भावकी अपेक्षा क्या उत्कृष्ट होती है या अनुत्कृष्ट ? ॥ २५७ ॥ वह उत्कृष्ट होती है ॥ २५८ ॥ छ. ८५
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