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६७२ ] छक्खंडागमे वेयणाखंडं
[४, २, १३, २३४ जस्स वेयणीयवेयणा खेत्तदो उस्कस्सा तस्स णाणावरणीय - दंसणावरणीयमोहणीय-अंतराइयवेयणा खेत्तदो उक्कसिया णत्थि ॥ २३४ ॥
जिसके वेदनीयकी वेदना क्षेत्रकी अपेक्षा उत्कृष्ट होती है उसके ज्ञानावरणीय, दर्शनावरणीय, मोहनीय और अन्तरायकी वेदना क्षेत्रकी अपेक्षा उत्कृष्ट नहीं होती ॥ २३४ ॥
तस्स आउअ-णामा-गोदवेयणा खेत्तदो किमुक्कस्सा अणुक्कस्सा ? ॥ २३५ ॥ उक्कस्सा ॥ २३६ ॥
उसके आयु, नाम और गोत्रकी वेदना क्षेत्रकी अपेक्षा क्या उत्कृष्ट होती है या अनुत्कृष्ट ? ।। २३५ ।। वह उसके उत्कृष्ट होती है ॥ २३६ ॥
एवमाउअ-णामा-गोदाणं ।। २३७ ।। इसी प्रकार आयु, नाम और गोत्रकी भी प्रकृत प्ररूपणा जाननी चाहिये ।। २३७ ॥
जस्स णाणावरणीयवेयणा कालदो उक्कस्सा तस्स छण्णं कम्माणमाउअवज्जाणं वेयणा कालदो किमुक्कस्सा अणुक्कस्सा ? ॥ २३८ ॥ उक्कसा वा अणुक्कस्सा वा, उक्कस्सादो अणुक्कस्सा असंखेज्जभागहीणा ।। २३९ ।।
जिसके ज्ञानावरणीयकी वेदना कालकी अपेक्षा उत्कृष्ट होती है उसके आयुको छोड़कर शेष छह कर्मोकी वेदना कालकी अपेक्षा क्या उत्कृष्ट होती है या अनुत्कृष्ट ॥ २३८ ।। उसके वह उत्कृष्ट भी होती है और अनुत्कृष्ट भी। उत्कृष्टकी अपेक्षा वह अनुत्कृष्ट असंख्यातभागहीन होती है ।।
तस्स आउअवेयणा कालदो किमुक्कस्सा अणुक्कस्सा ? ॥२४०॥ उक्कस्सा वा अणुक्कस्सा वा, उक्कस्सादो अणुक्कस्सा चउट्ठाणपदिदा ॥ २४१॥
उसके आयुकी वेदना कालकी अपेक्षा क्या उत्कृष्ट होती है या अनुत्कृष्ट ॥ २४० ॥
वह उसके उत्कृष्ट भी होती है और अनुत्कृष्ट भी। उत्कृष्टकी अपेक्षा वह अनुत्कृष्ट चार स्थानोंमें पतित होती है ॥ २४१ ॥
एवं छण्णं कम्माणं आउववज्जाणं ।। २४२॥ इस प्रकार शेष छह कर्मोंकी भी प्रकृत प्ररूपगा करनी (जाननी) चाहिये ॥ २४२ ।।
जस्स आउअवेयणा कालदो उक्कस्सा तस्स सत्ताण्णं कम्माणं वेयणा कालदो किमुक्कस्सा अणुक्कस्सा? ॥२४३॥ उक्कस्सा वा अणुक्कस्सा वा, उक्कस्सादो अणुक्कस्सा तिहाणपदिदा ॥२४४॥ असंखेज्जभागहीणा वा संखेज्जभागहीणा वा संखेज्जगुणहीणा वा ॥
जिसके आयुकी वेदना कालकी अपेक्षा उत्कृष्ट होती है उसके सात कर्मोंकी वेदना कालकी अपेक्षा क्या उत्कृष्ट होती है या अनुत्कृष्ट ? ॥ २४३ ॥ उसके वह उत्कृष्ट भी होती है और अनुत्कृष्ट भी । उत्कृटकी अपेक्षा अनुत्कृष्ट तीन स्थानोंमें पतित होती है ॥ २४४ ।। वे तीन स्थान ये हैं- उक्त वेदना असंख्यातभागहीन, संख्यातभागहीन और संख्यातगुणहीन ॥ २४५ ॥
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