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छक्खंडागमे चेयणाखंडं
[४, २, १३, १५५
तस्स भावदो किं जहण्णा अजहण्णा ? ॥१५५ ॥ जहण्णा वा अजहण्णा वा, जहण्णादो अजहण्णा छट्ठाणपदिदा ॥ १५६ ॥
उसके भावकी अपेक्षा वह क्या जघन्य होती है या अजघन्य ? ॥ १५५ ॥ उसके वह जघन्य भी होती है और अजघन्य भी। जघन्यकी अपेक्षा वह अजघन्य छह स्थानोंमें पतित है ॥
जस्स आउअवेयणा कालदो जहण्णा तस्स दव्वदो किं जहण्णा अजहण्णा ? ॥ १५७ ॥ णियमा अजहण्णा असंखेज्जगुणब्भहिया ॥ १५८ ॥
जिस जीवके आयुकी वेदना कालकी अपेक्षा जघन्य होती है उसके द्रव्यकी अपेक्षा वह क्या जघन्य होती है या अजघन्य ? ॥ १५७ ॥ उसके वह नियमसे अजघन्य और असंख्यातगुणी अधिक होती है ॥ १५८ ॥
तस्स खेत्तदो किं जहण्णा अजहण्णा ? ॥ १५९ ॥ णियमा अजहण्णा असंखेज्जगुणब्भहिया ॥ १६० ॥
उसके क्षेत्रकी अपेक्षा वह क्या जघन्य होती है या अजघन्य ? ॥ १५९ ॥ उसके वह नियमसे अजधन्य और असंख्यातगुणी अधिक होती है ॥ १६० ।।
तस्स भावदो किं जहण्णा अजहण्णा ? ॥ १६१ ॥ णियमा अजहण्णा अणंतगुणभहिया ॥ १६२ ॥
उसके भावकी अपेक्षा वह क्या जघन्य होती है या अजघन्य ? ॥ १६१ ॥ उसके वह नियमसे अजघन्य और अनन्तगुणी अधिक होती है ॥ १६२ ॥
जस्स आउअवेयणा भावदो जहण्णा तस्स दव्वदो किं जहण्णा अजहण्णा ? ॥१६३ ॥ णियमा अजहण्णा असंखेज्जगुणब्भहिया ॥ १६४ ॥
जिस आयुकी वेदना भावकी अपेक्षा जघन्य होती है उसके द्रव्यकी अपेक्षा वह क्या जघन्य होती है या अजघन्य ? ॥१६३ ॥ उसके वह नियमसे अजघन्य और असंख्यातगुणी अधिक होती है ॥ २६४ ॥
तस्स खेत्तदो किं जहण्णा अजहण्णा ? ॥१६५ ॥ जहण्णा वा अजहण्णा वा, जहण्णादो अजहण्णा चउहाणपदिदा ॥ १६६ ॥
उसके क्षेत्रकी अपेक्षा वह क्या जघन्य होती है या अजघन्य ? ॥ १६५ ॥ उसके वह जघन्य भी होती है और अजघन्य भी। जघन्यकी अपेक्षा वह अजघन्य चार स्थानोंमें पतित होती है ॥ १६६ ॥
___ तस्स कालदो किं जहण्णा अजहण्णा ? ॥ १६७ ॥ णियमा अजहण्णा असंखेज्जगुणब्भहिया ॥ १६८ ॥
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