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४, २, १३, १५४]
वेयणमहाहियारे वेयणसण्णियासविहाणं
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तस्स खेत्तदो किं जहण्णा अजहण्णा ? ॥ १४१ ॥ णियमा अजहण्णा असंखेज्जगुणब्भहिया ॥ १४२ ॥
उसके क्षेत्रकी अपेक्षा वह क्या जघन्य होती है या अजघन्य ? ॥ १४१ ॥ उसके वह नियमसे अजघन्य असंख्यातगुणी अधिक होती है ॥ १४२ ॥
तस्स कालदो किं जहण्णा अजहण्णा ? ॥ १४३ ॥ जहण्णा ॥ १४४ ॥
उसके कालकी अपेक्षा वह क्या जघन्य होती है या अजघन्य ? ॥ १४३ ॥ उसके वह जघन्य होती है ॥ १४४ ॥
जस्स आउअवेयणा दबदो जहण्णा तस्स खेत्तदो किं जहण्णा अजहण्णा ? ॥ १४५ ॥ णियमा अजहण्णा असंखेज्जगुणब्भहिया ॥ १४६ ॥
जिसके आयुकी वेदना द्रव्यकी अपेक्षा जघन्य होती है उसके क्षेत्रकी अपेक्षा वह क्या जघन्य होती है या अजघन्य ? ॥ १४५ ।। उसके वह नियमसे अजघन्य असंख्यातगुणी अधिक होती है ॥ १४६ ॥
तस्स कालदो किं जहण्णा अजहण्णा ? ॥ १४७ ॥ णियमा अजहण्णा असंखेज्जगुणब्भहिया ॥ १४८॥
- उसके कालकी अपेक्षा वह क्या जघन्य होती है या अजघन्य ? ॥ १४७ ।। उसके वह नियमसे अजघन्य और असंख्यातगुणी अधिक होती है ।। १४८ ॥
तस्स भावदो किं जहण्णा अजहण्णा ? ॥ १४९ ॥ णियमा अजहण्णा अणंतगुणभहिया ॥ १५० ।।
उसके भावकी अपेक्षा वह क्या जघन्य होती है या अजघन्य ? ॥ १४९ ॥ उसके वह नियमसे अजघन्य और अनन्तगुणी अधिक होती है ॥ १५० ॥
जस्स आउअवेयणा खेत्तदो जहण्णा तस्स दव्वदो किं जहण्णा अजहण्णा ? ॥ १५१ ।। णियमा अजहण्णा असंखेज्जगुणब्भहिया ॥ १५२ ।।
जिस जीवके आयुकी वेदना क्षेत्रकी अपेक्षा जघन्य होती है उसके द्रव्यकी अपेक्षा वह क्या जघन्य होती है या अजघन्य ? ॥ १५१ ॥ उसके वह नियमसे अजघन्य असंख्यातगुणी अधिक होती है ॥ १५२ ॥
तस्स कालदो किं जहण्णा अजहण्णा ? ॥१५३ ॥ णियमा अजहण्णा असंखेज्जगुणब्भहिया ॥ १५४ ॥
उसके कालकी अपेक्षा वह क्या जघन्य होती है या अजघन्य ? ॥ १५३ ॥ उसके वह नियमसे अजघन्य और असंख्यातगुणी अधिक होती है ॥ १५४ ॥ छ. ८४
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