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४, २, १३, २०८] वेयणमहाहियारे वेयणसण्णियासविहाणं _ [६६९
तस्स कालदो किं जहण्णा अजहण्णा ? ॥ १९५ ॥ जहण्णा ॥ १९६ ॥ - उसके कालकी अपेक्षा वह क्या जघन्य होती है या अजघन्य ? ।। १९५ ॥ वह उसके जघन्य होती है ॥ १९६ ॥
तस्स भावदो किं जहण्णा अजहण्णा ? ॥ १९७ ॥ णियमा अजहण्णा अणंतगुणब्भहिया ॥ १९८॥
उसके भावकी अपेक्षा वह क्या जघन्य होती है या अजघन्य ? ॥ १९७ ॥ उसके वह नियमसे अजघन्य और अनन्तगुणी अधिक होती है ॥ १९८ ॥
जस्स गोदवेयणा खेत्तदो जहण्णा तस्स दव्वदो किं जहण्णा अजहण्णा ? ॥१९९।। णियमा अजहण्णा चउट्ठाणपदिदा ॥ २००॥
___ जिसके गोत्रकी वेदना क्षेत्रकी अपेक्षा जघन्य होती है उसके वह द्रव्यकी अपेक्षा क्या जघन्य होती है या अजघन्य ? ॥ १९९ ।। उसके वह नियमसे अजघन्य होकर चार स्थानोंमें पतित होती है ॥ २०० ॥
तस्स कालदो किं जहण्णा अजहण्णा ? ॥२०१॥ णियमा अजहण्णा असंखेज्जगुणब्भहिया ॥ २०२॥
उसके कालकी अपेक्षा वह क्या जघन्य होती है या अजघन्य ? ॥ २०१॥ उसके वह नियमसे अजघन्य और असंख्यातगुणी अधिक होती है ॥ २०२ ॥
तस्स भावदो किं जहण्णा अजहण्णा १ ॥ २०३ ॥ णियमा अजहण्णा अणंतगुणब्भहिया ॥ २०४ ॥
उसके भावकी अपेक्षा वह क्या जघन्य होती है या अजघन्य ? ॥ २०३ ॥ उसके वह नियमसे अजघन्य और अनन्तगुणी अधिक होती है । २०४ ॥
जस्स गोदवेयणा कालदो जहण्णा तस्स दव्वदो किं जहण्णा अजहण्णा ? । २०५ ॥ जहण्णा वा अजहण्णा वा, जहण्णादो अजहण्णा पंचट्ठाणपदिदा ॥ २०६ ॥
जिस जीवके गोत्रकी वेदना कालकी अपेक्षा जघन्य होती है उसके वह क्या द्रव्यकी अपेक्षा जघन्य होती है या अजघन्य ? ॥ २०५॥ उसके वह जघन्य भी होती है और अजघन्य भी । जघन्यकी अपेक्षा वह अजघन्य पांच स्थानोंमें पतित होती है ॥ २०६ ॥
तस्स खेत्तदो किं जहण्णा अजहण्णा? ॥ २०७॥ णियमा अजहण्णा असंखेज्जगुणब्भहिया ॥ २०८॥
उसके क्षेत्रकी अपेक्षा वह क्या जघन्य होती है या अजघन्य ? ॥ २०७ ॥ उसके वह नियमसे अजघन्य और असंख्यातगुणी होती है । २०८ ॥
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