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६५८] छक्खंडागमे वेयणाखंडं
[४, २, १३, ४८ तस्स भावदो किमुक्कस्सा अणुक्कस्सा ? ॥४८॥ णियमा अणुक्कस्सा अणंतगुणहीणा ॥४९॥
उसके भावकी अपेक्षा उक्त वेदना क्या उत्कृष्ट होती है या अनुत्कृष्ट होती है ? ॥४८॥ वह उसके नियमतः अनुत्कृष्ट और अनन्तगुणीहीन होती है ॥ ४९ ॥
जस्स वेयणीयवेयणा खेत्तदो उक्कस्सा तस्स दव्वदो किमुक्कस्सा अणुक्कस्सा ? ॥५०॥ णियमा अणुक्कस्सा चउट्ठाणपदिदा ॥५१॥
जिस जीवके वेदनीयकी वेदना क्षेत्रकी अपेक्षा उत्कृष्ट होती है उसके द्रव्यकी अपेक्षा वह क्या उत्कृष्ट होती है या अनुत्कृष्ट होती है ? ॥ ५० ॥ उसके वह नियमसे अनुत्कृष्ट और चार स्थानोमें पतित होती है ॥ ५१ ॥
___ तस्स कालदो किमुक्कस्सा अणुक्कस्सा ? ॥५२॥ णियमा अणुक्कस्सा असंखेज्जगुणहीणा ॥ ५३॥
उसके कालकी अपेक्षा उक्त वेदना क्या उत्कृष्ट होती है या अनुत्कृष्ट होती है ? ॥५२॥ उसके वह नियमसे अनुत्कृष्ट और असंख्यातगुणी हीन होती है ॥ ५३ ॥
तस्स भावदो किमुक्कस्सा अणुक्कस्सा ? ॥५४॥ उक्कस्सा भाववेयणा ॥५५॥
__ उसके भावकी अपेक्षा वह क्या उत्कृष्ट होती है या अनुत्कृष्ट होती है ? ॥ ५४ ॥ उसके वह भाववेदना उत्कृष्ट होती है ॥ ५५ ॥
जस्स वेयणीयवेयणा कालदो उक्कस्सा तस्स दव्वदो किमुक्कस्सा अणुक्कस्सा ? ॥५६॥ उक्कस्सा वा अणुक्कस्सा वा ॥५७॥ उक्कस्सादो अणुक्कस्सा पंचट्ठाणपदिदा ॥
जिसके वेदनीयकी वेदना कालकी अपेक्षा उत्कृष्ट होती है, उसके द्रव्यकी अपेक्षा वह क्या उत्कृष्ट होती है या अनुत्कृष्ट ? ॥ ५६ ॥ उसके वह उत्कृष्ट भी होती है और अनुत्कृष्ट भी ॥ ५७ ॥ उत्कृष्टकी अपेक्षा यह अनुत्कृष्ट पांच स्थानोंमें पतित है ॥ ५८ ॥
___ तस्स खेत्तदो किमुक्कस्सा अणुक्कस्सा ? ॥ ५९॥ णियमा अणुक्कस्सा असंखेज्जगुणहीणा ॥ ६० ॥
___ उसके क्षेत्रकी अपेक्षा वह क्या उत्कृष्ट होती है या अनुत्कृष्ट ? ॥ ५९ ॥ वह उसके नियमसे अनुत्कृष्ट और असंख्यातगुणी हीन होती है ॥ ६० ॥
तस्स भावदो किमुक्कस्सा अणुक्कस्सा ? ॥६१॥ णियमा अणुक्कस्सा अणंतगुणहीणा ॥ ६२ ॥
उसके भावकी अपेक्षा उक्त वेदना क्या उत्कृष्ट होती है या अनुत्कृष्ट ? ॥ ६१ ॥ वह उसके नियमसे अनुत्कृष्ट और अनन्तगुणी हीन होती है ॥ ६२ ॥
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