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छक्खंडागमे वेयणाखंड
[ ४, २, १३, २४
जस्स णाणावरणीयवेयणा कालदो उक्कस्सा तस्स दव्वदो किमुक्कस्सा अणुक्कस्सा ! ।। २४ ॥
जिस जीवके ज्ञानावरणीयकी वेदना कालकी अपेक्षा उत्कृष्ट है उसके वह द्रव्यकी अपेक्षा क्या उत्कृष्ट होती है या अनुत्कृष्ट ! ॥ २४ ॥
उक्कस्सा वा अणुक्कस्सा वा ॥ २५ ॥
उसके द्रव्यकी अपेक्षा वह उत्कृष्ट भी होती है और अनुत्कृष्ट भी होती है ॥ २५ ॥ aratसादो अणुक्कस्सा पंचट्ठाणपदिदा || २६ ॥
यह अनुत्कृष्ट वेदना उत्कृष्टकी अपेक्षा अनन्तगुणहानिसे रहित शेष पांच स्थानोंमें पतित है ॥ २६ ॥
तस्स खेत्तदो किमुक्कस्सा अणुक्कस्सा ।। २७ ।।
उसके क्षेत्रकी अपेक्षा उक्त वेदना क्या उत्कृष्ट होती है या अनुत्कृष्ट ! ॥ २७ ॥
उक्कस्सा वा अणुक्कस्सा वा ।। २८ ॥
वह उसके उत्कृष्ट भी होती है और अनुत्कृष्ट भी होती है ॥ २८ ॥
उक्कस्सादो अणुक्कस्सा चउट्ठाणपदिदा ।। २९ ।
वह अनुत्कृष्ट वेदना उत्कृष्टकी अपेक्षा असंख्यात भागहीन, संख्यातभागहीन, संख्यातगुणऔर असंख्यातगुणहीन इन स्थानोंमें पतित है ॥ २९ ॥
aa भावदो किमुक्कस्सा अणुक्कस्सा ? || ३० ॥
उसके उक्त वेदना भावकी अपेक्षा क्या उत्कृष्ट होती है या अनुत्कृष्ट होती है ? ॥३०॥
उक्कस्सा वा अणुक्कस्सा वा ।। ३१ ।।
वह उसके उत्कृष्ट भी होती है और अनुत्कृष्ट भी होती है ॥ ३१ ॥
उक्कसादी अणुक्कस्सा छट्ठाणपदिदा ।। ३२ ॥
वह अनुत्कृष्ट उत्कृष्टकी अपेक्षा छहों स्थानों में पतित है ॥ ३२ ॥ जस्स णाणावरणीयवेयणा भावदो उक्कस्सा अणुक्कस्सा ! || ३३ ॥
जिस जीवके ज्ञानावरणीयकी वेदना भावकी अपेक्षा उत्कृष्ट है उसके द्रव्यकी अपेक्षा वह क्या उत्कृष्ट होती है या अनुत्कृष्ट होती है ? ॥ ३३ ॥
तस्स दव्वदो किमुक्कस्सा
उक्कस्सा वा अणुक्कस्सा वा ॥ ३४ ॥
वह उसके उत्कृष्ट भी होती है और अनुत्कृष्ट भी होती है ॥ ३४ ॥
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