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४, २, १३, २३ ] वेयणमहाहियारे वेयणसण्णियासविहाणं
[६५५ अणंतभागहीणा वा असंखेज्जभागहीणा वा संखेज्जभागहीणा वा संखेज्जगुणहीणा वा असंखेज्जगुणहीणा वा अणंतगुणहीणा वा ॥ १४ ॥
___ वह अनुत्कृष्ट भाववेदना अनन्तभागहीन, असंख्यातभागहीन, संख्यातभागहीन, संख्यातगुणहीन, असंख्यातगुणहीन और अनन्तगुणहीन होती है ॥ १४ ॥
जस्स णाणावरणीयवेयणा खेत्तदो उक्कस्सा तस्स दव्वदो किमुक्कस्सा अणुक्कस्सा ? ॥१५॥
जिस जीवके ज्ञानावरणीयकी वेदना क्षेत्रकी अपेक्षा उत्कृष्ट होती है, उसके वह द्रव्यकी अपेक्षा क्या उत्कृष्ट होती है अथवा अनुत्कृष्ट ? ॥ १५ ॥
णियमा अणुक्कस्सा ॥ १६ ॥ वह उसके नियमसे अनुत्कृष्ट होती है ॥ १६॥
चउट्ठाणपदिदा असंखेज्जभागहीणा वा संखेज्जभागहीणा वा संखेज्जगुणहीणा वा असंखेज्जगुणहीणा वा ॥ १७ ॥
वह अनुत्कृष्ट द्रव्यवेदना असंख्यातभागहीन, संख्यातभागहीन, संख्यातगुणहीन और असंख्यातगुणहीन इन चार स्थानोंमें पतित है ॥ १७ ॥
तस्स कालदो कि उक्कस्सा अणुक्कस्सा ॥१८॥ उसके उक्त वेदना कालकी अपेक्षा क्या उत्कृष्ट होती है या अनुत्कृष्ट ? ॥ १८ ॥ उक्कस्सा वा अणुक्कस्सा वा ॥१९॥ वह उसके उत्कृष्ट भी होती है और अनुत्कृष्ट भी होती है ॥ १९ ॥
उक्कस्सादो अणुक्कस्सा तिट्ठाणपदिदा-असंखेज्जभागहीणा वा संखेज्जभागहीणा वा संखेज्जगुणहीणा वा ॥२०॥
यह अनुत्कृष्ट उत्कृष्टकी अपेक्षा असंख्यातभागहीन, संख्यातभागहीन और संख्यातगुणहीन इन तीन स्थानोंमें पतित है ॥ २० ॥
तस्स भावदो किमुक्कस्सा अणुक्कस्सा ? ॥ २१ ॥ उसके उक्त वेदना भावकी अपेक्षा क्या उत्कृष्ट होती है या अनुत्कृष्ट होती है ? ॥२१॥ उक्कस्सा वा अणुक्कस्सा वा ॥ २२ ॥ भावकी अपेक्षा वह उत्कृष्ट भी होती है और अनुत्कृष्ट भी ॥ २२ ॥ उक्कस्सादो अणुक्कस्सा छट्टाणपदिदा ॥ २३ ॥ वह उत्कृष्टकी अपेक्षा अनुत्कृष्ट छह स्थानोंमें पतित है ॥ २३ ॥
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