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छक्खंडागमे वेयणाखंडं
[४, २, १०, २६ सिया बज्झमाणियाओ च उदिण्णा च उवसंताओ च ॥ २६ ॥ वह कथंचित् बध्यमान अनेक, उदीर्ण एक और उपशान्त अनेक वेदनाओंरूप है ॥२६॥ सिया बज्झमाणियाओ च उदिण्णाओ च उवसंता च ॥२७॥ वह कथंचित् बध्यमान व उदीर्ण अनेक तथा उपशान्त एक वेदना है ॥ २७ ॥ सिया बज्झमाणियाओ च उदिण्णाओ च उवसंताओ च ॥ २८ ॥ वह कथंचित् बध्यमान, अनेक उदीर्ण और उपशान्त अनेक वेदनाओंरूप है ॥ २८ ॥ एवं सत्तण्णं कम्माणं ॥ २९ ॥ इसी प्रकार नैगम नयकी शेष सात कोंके वेदनावेदनविधानकी प्ररूपणा करनी चाहिये । ववहारणयस्स णाणावरणीयवेयणा सिया बज्झमाणियावेयणा ॥ ३०॥ व्यवहार नयकी अपेक्षा ज्ञानावरणीयकी वेदना कथंचित् बध्यमान वेदना है ॥ ३० ॥ सिया उदिण्णा वेयणा ॥ ३१ ॥ वह कथंचित् उदीर्ण वेदना है ॥ ३१ ॥ सिया उवसंता वेयणा ॥ ३२ ॥ वह कथंचित् उपशान्त वेदना है ॥ ३२ ॥ सिया उदिण्णाओ वेयणाओ ॥ ३३ ॥ कथंचित् उीर्ण वेदनायें हैं ॥ ३३ ॥ सिया उवसंताओ वेयणाओ ॥ ३४ ॥ कथंचित् उपशान्त वेदनायें है ॥ ३४ ॥ सिया बज्झमाणिया उदिण्णा च ॥ ३५ ॥ कथंचित् बध्यमान और उदीण वेदना है ॥ ३५॥ सिया बज्झमाणिया च उदिण्णाओ च ॥ ३६॥ कथंचित् बध्यमान एक और उदीर्ण अनेक वेदनाये हैं ॥ ३६ ॥ सिया बज्झमाणिया च उवसंता च ॥ ३७ ॥ कथंचित् बध्यमान और उपशान्त वेदना है ॥ ३५ ॥ सिया बज्झमाणिया च उवसंताओ च ॥ ३८ ॥ कथंचित् बध्यमान एक और उपशान्त अनेक वेदनायें हैं ॥ ३८ ॥ सिया उदीण्णा च उवसंता च ॥ ३९॥ कथंचित् उदीर्ण और उपशान्त वेदना है ॥ ३९ ॥
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