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४, २, ७, २१३ ]
वेणमहाहियारे वेयणभावविहाणे विदिया चूलिया
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( १५÷४=३ शेष ३ ) । युग्मका अर्थ सम होता है । वह कृतयुग्म और बादर युग्मके भेदसे दो प्रकारका है । जिस राशिमें चारका भाग देनेपर कुछ भी शेष नहीं रहता है वह राशि कृतयुग्म कही जाती है | जैसे १६ ( १६+४ = ४ शेष ० ) जिस राशिमें चारका भाग देनेपर दो अंक शेष रहते हैं वह राशि बादरयुग्म कही जाती है । जैसे १४ (१४+४ = ३ शेष २ ) ।
छड्डाणपरूवणदाए अनंतभागपरिवड्ढी का परिवड्ढीए ? सव्वजीवेहि अनंतभागपरिवड्ढी । एवदिया परिवड्ढी || २०४ ||
पट् स्थानप्ररूपणा में अनन्तभागवृद्धि किस वृद्धिके द्वारा वृद्धिंगत हुई है ? अनन्तभागवृद्धि जीवोंसे (जीवराशिसे) वृद्धिंगत हुई है । इतनी मात्र वृद्धि है || २०४ ॥
असंखेज्जभागपरिवड्ढी का परिवड्ढीए ? ॥
२०५ ॥ असंख्यात भागवृद्धि किस वृद्धिके द्वारा होती है ? ॥ २०५ ॥ असंखेज्जलोग भागपरिवड्ढीए । एवदिया परिवड्ढी ॥ २०६ ॥
उक्त वृद्धि असंख्यात लोकभागवृद्धि द्वारा होती है । इतनी वृद्धि होती है ॥ २०६ ॥ संखेज्ज भागवड्डी का परिवड्ढीए ? ॥ २०७ ॥
संख्यातभागवृद्धि किस वृद्धि द्वारा वृद्धिको प्राप्त होती है ? ॥ २०७ ॥ जहण्णयस्स असंखेज्जयस्स रूवणयस्स संखेज्जभागपरिवड्ढी । एवदिया परिवड्ढी ।। संख्यात भागवृद्धि कम जघन्य असंख्यात ( उत्कृष्ट संख्यात) की वृद्धिसे वृद्धिंगत होती है । इतनी वृद्धि होती है ॥ २०८ ॥
संजगुणपरिवड्ढी का संख्यातगुणवृद्धि किस वृद्धि
परिवदीए ? || २०९ ॥ वृद्धिंगत होती है ? ॥ २०९ ॥
जहण्णयस्स असंखेज्जयस्स रूवूणयस्स संखेज्जगुणपरिवड्ढी एवदिया परिवड्ढी || वह एक कम जघन्य असंख्यातकी वृद्धिसे वृद्धिंगत होती है । इतनी मात्र वृद्धि होती है ॥ २९० ॥
असंखेज्जगुणपरिवड्ढी का परिवड्ढीए १ ।। २११ ॥
असंख्यातगुणवृद्धि किस वृद्धिके द्वारा वृद्धिंगत होती है ? ॥ २११ ॥ असंखेज्ज लोगगुणपरिवड्डी एवदिया परिवढी ।। २१२ ।। वह असंख्यात लोकोंसे वृद्धिंगत होती है । इतनी वृद्धि होती है ॥ २१२ ॥ अतगुणपरिवड्ढी का परिवड्ढीए ? || २१३ || अनन्तगुणवृद्धि किस वृद्धिसे वृद्धिंगत होती है ! ॥ २१३ ॥
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