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२, ७, १३ ]
फोसणाणुगमे गदिमग्गणा
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७. फोसणाणुगमो
फोसाणुगमेण गदियाणुवादेण णिरयगदीए णेरइएहि सत्थाणेहि केवडिखेत्तं फोसिदं ? ॥१॥ लोगस्स असंखेज्जदिभागो॥२॥
स्पर्शनानुगमसे गतिमार्गणानुसार नरकगतिमें नारकी जीवोंके द्वारा स्वस्थान पदोंसे कितना क्षेत्र स्पृष्ट है ? ॥ १ ॥ नरकगतिमें नारकियोंके द्वारा स्वस्थान पदोंसे लोकका असंख्यातवां भाग स्पृष्ट है ॥ २ ॥
समुग्धाद-उववादेहि केवडियं खेत्तं फोसिदं? ॥३॥ लोगस्स असंखेज्जदिभागो॥
उक्त नारकियोंके द्वारा समुद्घात व उपपाद पदोंसे कितना क्षेत्र स्पृष्ट है ? ॥३॥ उक्त पदोंसे उनके द्वारा लोकका असंख्यातवां भाग स्पृष्ट है ॥ ४ ॥
छ-चोद्दसभागा वा देसूणा ॥ ५ ॥
अथवा, अतीत कालकी अपेक्षा उक्त नारकियोंके द्वारा समुद्घात व उपपाद पदोंसे कुछ कम छह बटे चौदह (8) भाग प्रमाण क्षेत्र स्पृष्ट है ॥ ५॥
पढमाए पुढवीए णेरइया सत्थाण-समुग्धाद-उववादपदेहि केवडियं खेत्तं फोसिदं? ॥ ६ ॥ लोगस्स असंखेज्जदिभागो ॥ ७॥
प्रथम पृथिवीमें नारकी जीवोंके द्वारा स्वस्थान, समुद्घात और उपपाद पदोंकी अपेक्षा कितना क्षेत्र स्पृष्ट है ? ॥ ६ ॥ प्रथम पृथिवीके नारकियों द्वारा उक्त पदोंसे लोकका असंख्यातवां भाग स्पृष्ट है ॥ ७ ॥
विदियाए जाव सत्तमाए पुढवीए णेरइया सत्थाणेहि केवडियं खेत्तं फोसिदं ? ॥८॥ लोगस्स असंखेज्जदिभागो ॥९॥
द्वितीय पृथिवीसे लेकर सप्तम पृथिवी तकके नारकियों द्वारा स्वस्थान पदोंसे कितना क्षेत्र स्पृष्ट है ? ॥ ८ ॥ स्वस्थान पदोंसे उनके द्वारा लोकका असंख्यातवां भाग स्पृष्ट है ॥ ९॥
समुग्धाद-उववादेहि य केवडियं खेत्तं फोसिदं ? ॥१०॥ लोगस्स असंखेजदिभागो, एग-बे-तिण्णि-चत्तारि-पंच-छच्चोहसभागा वा देसूणा ॥ ११ ॥
। उक्त नारकियोंके द्वारा समुद्घात व उपपाद पदोंसे कितना क्षेत्र स्पृष्ट है ? ॥ १० ॥ समुद्घात व उपपाद पदोंसे उनके द्वारा लोकका असंख्यातवां भाग; अथवा चौदह भागोंमेंसे क्रमशः एक, दो, तीन, चार, पांच और छह भाग स्पृष्ट हैं ॥ ११ ॥
तिरिक्खगदीए तिरिक्खा सत्थाण-समुग्धाद-उववादेहि केवडियं खेत्तं फोसिदं ? ॥ १२ ॥ सबलोगो ॥ १३ ॥ छ. ५३
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