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३, १८८ ]
कसायमग्गणाए बंध- सामित्तं
सातावेदनीयका कौन बन्धक है और कोन अबन्धक है ! ॥ १८० ॥ अणिट्टहुड जाव सजोगिकेवली बंधा । सजोगिकेवलिअद्धाए चरिमसमर्यं गंतूण बंधो वोच्छिज्जदि । एदे बंधा, अवसेसा अबंधा ।। १८१ ॥
अनिवृत्तिकरणसे लेकर सयोगिकेवली तक बन्धक हैं । सयोगकेवलिकालके अन्तिम समयमें जाकर बन्धव्युच्छिन्न होता है । ये बन्धक हैं, शेष अबन्धक हैं ॥ १८१ ॥ को संजणस्स को बंधो को अबंधो ? ॥ १८२ ॥
संज्वलन क्रोधका कौन बन्धक है और कौन अबन्धक है ? ॥ १८२ ॥
aurat aur aar धा । अणियट्टिबादरद्धा संखेज्जे भागे गंतूण बंधो वोच्छिज्जदि । दे बंधा, अवसेसा अवधा ॥ १८३ ॥
अनिवृत्तिकरणगुणस्थानवर्ती उपशामक व क्षपक बन्धक हैं । बादर अनिवृत्तिकरणकालके संख्यात बहुभाग जाक्रर बन्ध व्युच्छिन्न होता है । ये बन्धक हैं, शेष अबन्धक हैं ॥ १८३ ॥ माण- मायाजलगाणं को बंधो को अबंधो ? ॥ १८४ ॥
संज्वलन मान और मायाका कौन बन्धक है और कौन अबन्धक है ? ॥ १८४ ॥ अणियट्टी उवसमा खवा बंधा । अणियट्टिबादरद्धाए सेसे सेसे संखेज्जे भागे गंतूण बंधो वोच्छिज्जदि । एदे बंधा, अवसेसा अबंधा ॥ १८५ ॥
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अनिवृत्तिकरण उपशमक व क्षपक बन्धक हैं । अनिवृत्तिकरण - बादर- कालके शेष रहे कालके शेषमें भी संख्यात बहुभाग जाकर बन्ध व्युच्छिन्न होता है। ये बन्धक हैं, शेष अबन्धक हैं ॥
लोभसंजणस्स को बंधो को अबंधो ? ।। १८६ ॥
संज्वलन लोभका कौन बन्धक है और कौन अबन्धक है ! ॥ ९८६ ॥
अणिट्टी उवसमा खवा बंधा | अणियट्टि बादरद्धाए चरिमसमयं गंतूण बंधो वोच्छिज्जदि । एदे बंधा, अवसेसा अबंधा
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१८७ ॥
अनिवृत्तिकरण उपशमक व क्षपक बन्धक हैं । बादर अनिवृत्तिकरणकालके अन्तिम समयको जाकर बन्ध व्युच्छिन्न होता है । ये बन्धक हैं, शेष अबन्धक हैं ॥ १८७ ॥
कसायानुवादे को कसाईसु पंचणाणावरणीय [ चउदसणावरणीय-सादावेदणीय-] चदुसंजलणजसकित्ति उच्चागोद - पंचतराइयाणं को बंधो को अबंधो १ ॥ १८८ ॥
कषायमार्गणानुसार क्रोधकषायी जीवोंमें पांच ज्ञानावरणीय, [ चार दर्शनावरणीय, सातावेदनीय, ] चार संज्वलन, यशः कीर्ति, उच्चगोत्र और पांच अन्तराय; इनका कौन बन्धक है और कौन अबन्धक है ! ॥ १८८ ॥
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