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५९६] छक्खंडागमे वेयणाखंडं
[४, २, ६, ११७ एयपदेसगुणहाणिट्ठाणंतरमसंखेज्जाणि पलिदोवमवग्गमूलाणि ॥ ११७ ॥ एकप्रदेशगुणहानिस्थानान्तर पल्योपमके असंख्यात वर्गमूलोंके बराबर है ॥ ११७ ॥ णाणापदेसगुणहाणिट्ठाणंतराणि पलिदोवमवग्गमूलस्स असंखेज्जदिभागो ॥११८॥ नानाप्रदेशगुणहानिस्थानान्तर पल्योपमके वर्गमूलके असंख्यातवें भाग प्रमाण है ॥११८॥ णाणापदेसगुणहाणिहाणंतराणि थोवाणि ॥ ११९ ॥ नानाप्रदेशगुणहानिस्थानान्तर स्तोक है ॥ ११९ ॥ एयपदेसगुणहाणिट्ठाणंतरमसंखेज्जगुणं ॥ १२० ॥ उनसे एकप्रदेशगुणहानिस्थानान्तर असंख्यातगुणा है ॥ १२० ॥ आवाधकंदयपरूवणदाए ॥ १२१ ॥ अब आबाधाकाण्डकप्ररूपणाका अधिकार है ॥ १२१ ।।।
पंचिंदियाणं सण्णीणमसण्णीणं चउरिंदियाणं तीइंदियाणं बीइंदियाणं एइंदियबादरसुहुम-पज्जत्त-अपज्जत्तयाणं सत्तण्णं कम्माणमाउववज्जाणमुक्कस्सियादो हिदीदो समए समए पलिदोवमस्स असंखेज्जदिभागमेत्तमोसरिदूण एयमाबाहाकंदयं करेदि । एसकमो जाव जहणिया हिदि त्ति ॥ १२२ ॥
संज्ञी व असंज्ञी पंचेन्द्रिय, चतुरिन्द्रिय, त्रीन्द्रिय, द्वीन्द्रिय और बादर व सूक्ष्म एकेन्द्रिय इन पर्याप्त व अपर्याप्त जीवोंके आयुको छोड़कर शेष सात कर्मोकी उत्कृष्ट स्थितिसे समय समयमें पल्योपमके असंख्यातवें भाग मात्र नीचे उतर कर एक आबाधाकाण्डकको करता है । यह क्रम जघन्य स्थिति तक है ॥ १२२ ॥
अभिप्राय यह है कि संज्ञी पंचेन्द्रिय जीवोंके विवक्षित कर्मके उत्कृष्ट आबाधाकालके अन्तिम समयकी विवक्षा कर उक्त कर्मकी उत्कृष्ट स्थितिका बन्ध होता है, एक समय कम उत्कृष्ट स्थितिका बन्ध होता है, दो समय कम उकृष्ट स्थितिका बन्ध होता है, तीन समय कम उत्कृष्ट स्थितिका बन्ध होता है, इस प्रकार उत्तरोत्तर एक एक समय कम होकर पल्योपमके असंख्यातवें भागसे हीन उत्कृष्ट स्थिति तकका बन्ध होता है। इतनी स्थिति विशेषोंका एक आबाधाकाण्डक होता है । इसी प्रकार आबाधाकालके द्विचरम समयकी विवक्षा कर उसके आश्रयसे पल्योपमके असंख्यातवें भागसे हीन विवक्षित कर्मकी उत्कृष्ट स्थितिको और उससे उत्तरोत्तर एक एक समय हीन होकर पुन: उस पल्योपमके असंख्यातवें भागसे हीन तक उसकी स्थितिको बांधता है। इतनी स्थिति विशेषोंका द्वितीय आबाधाकाण्डक होता है। इसी क्रमसे उस आबाधाकालके त्रिचरम समयकी विवक्षामें तृतीय आबाधाकाण्डक और चतुश्चरम आदि समयोंकी विवक्षामें चतुर्थ आदि आबाधाकाण्डक होते हैं । इस प्रकार विवक्षित कर्मकी उस उत्कृष्ट स्थितिके उत्तरोत्तर हीन होते हुए उसकी जघन्य स्थिति तक समझना चाहिये ।
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