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४, २, ६, २२२ ] वेयणमहाहियारे वेयणकालविहाणे ठिदिबंधज्झवसाणपरूवणा [६०५
सादस्स चेव बिट्ठाणियजवज्झस्स उवरि मिस्सयाणि संखेज्जगुणाणि ॥ २१२ ॥ उनसे साताके ही द्विस्थानिक यवमध्यके ऊपर मिश्र स्थितिबन्धस्थान संख्यातगुणे हैं ॥
असादस्स विट्ठाणियजवमज्झस्स हेढदो एयंतसायारपाओग्गट्ठाणाणि संखेज्जगुणाणि ॥ २१३॥
उनसे असाताके द्विस्थानिक यवमध्यके नीचे एकान्ततः साकार उपयोगके योग्य स्थान संख्यातगुणे हैं ॥ २१३ ॥
मिस्सयाणि संखेज्जगुणाणि ॥ २१४ ॥ उनसे मिश्र स्थितिबन्धस्थान संख्यातगुणे हैं ॥ २१४ ॥ असादस्स चेव विट्ठाणियजवमज्झस्सुवरि मिस्सयाणि संखेज्जगुणाणि ॥ २१५॥
उनसे असातावेदनीयके ही द्विस्थानिक यवमध्यके ऊपर मिश्रस्थितिबन्धस्थान संख्यातगुणे हैं ॥ २१५ ॥
एयंतसागारपाओग्गट्ठाणाणि संखेज्जगुणाणि ॥ २१६ ॥ उनसे एकान्तत-साकार उपयोगके योग्य स्थान संख्यातगुणे है ॥ २१६ ॥ असादस्स तिहाणियजवमज्झस्स हेट्ठदो हाणाणि संखेज्जगुणाणि ॥ २१७ ॥ उनसे असाता वेदनीयके त्रिस्थानिक यवमध्यके नीचेके स्थान संख्यातगुणे हैं ॥२१७॥ उवरि संखेज्जगुणाणि ॥ २१८ ॥ उनसे उसके ऊपरके स्थितिबन्धस्थान संख्यातगुणे हैं ॥ २१८ ॥ असादस्स चउट्ठाणियजवमज्झस्स हेढदो द्वाणाणि संखेज्जगुणाणि ॥२१९ ॥ उनसे असातावेदनीयके चतुःस्थानिक यवमध्यके नीचेके स्थान संख्यातगुणे हैं ॥२१९॥ सादस्स जहण्णओ द्विदिबंधो संखेज्जगुणो ॥ २२० ॥ उनसे सातावेदनीयका जघन्य स्थितिबन्ध संख्यातगुणा है ॥ २२० ॥ ज-डिदिबंधो विसेसाहिओ ।। २२१ ॥ उससे ज-स्थितिबन्ध विशेष अधिक है ॥ २२१ ॥
आबाधासे सहित जो जघन्य स्थितिबन्ध होता है उसका नाम ज-स्थितिबन्ध और उस आबाधासे रहित जो जघन्य स्थितिबन्ध होता है उसका नाम जघन्य स्थितिबन्ध है, यह ज-स्थितिबन्ध और जघन्य स्थितिबन्धमें भेद समझना चाहिये ।
असादस्स जहण्णओ द्विदिबंधो विसेसाहिओ ॥ २२२ ॥ - उससे असातावेदनीयका जघन्य स्थितिबन्ध विशेष अधिक है ॥ २२२ ॥
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