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३, ३०८ ] सम्मत्तमग्गणाए बंध-सामित्तं
[५०७ असंजदसम्मादिट्टिप्पहुडि जाव उवसंतकसाय-चीयराग-छदुमत्था बंधा । एदे बंधा, अबंधा णत्थि ॥ २९८ ॥
असंयतसम्यग्दृष्टि से लेकर उपशान्तकषाय-वीतराग-छद्मरथ तक बन्धक हैं । ये बन्धक हैं, अबन्धक नहीं हैं ॥ २९८ ।।
असादावेदणीय - अरदि-सोग -अथिर - असुह - अजसकित्तिणामाणं को बंधो को अबंधो ? ॥ २९९ ॥
__असातावेदनीय, अरति, शोक, अस्थिर, अशुभ, और अयशःकीर्ति नामकर्मका कौन बन्धक है और कौन अबन्धक हैं ? ॥ २९९ ॥
असंजदसम्मादिटिप्पहुडि जाव पमत्तसंजदा बंधा । एदे बंधा, अवसेसा अबंधा ॥ असंयतसम्यग्दृष्टि से लेकर प्रमत्तसंयत तक बन्धक हैं। ये बन्धक हैं, शेष अबन्धक
. अपच्चक्खाणावरणीयमोहिणाणिभंगो ॥३०१॥ णवरि आउवं णस्थि ॥३०२॥
अप्रत्याख्यानावरणीय चतुष्क आदिकी प्ररूपणा अवधिज्ञानियोंके समान है ॥ ३०१॥ विशेष इतना है कि उनके आयुकर्मका बन्ध सम्भव नहीं है ॥ ३०२ ॥
पच्चक्खाणावरणचउक्कस्स को बंधो को अबंधो? ॥ ३०३ ॥ प्रत्याख्यानावरणचतुष्कका कौन बन्धक है और कौन अबन्धक है ॥ ३०३ ॥ असंजदसम्मादिट्ठी संजदासजदा बंधा । एदे बंधा, अवसेसा अबंधा ॥ ३०४ ॥ असंयतसम्यग्दृष्टि और संयतासंयत बन्धक हैं। ये बन्धक हैं, शेष अबन्धक हैं ॥३०४॥ पुरिसवेद-कोधसंजलणाणं को बंधो को अबंधो ? ॥ ३०५ ॥ पुरुषवेद और संज्वलनक्रोधका कौन बन्धक है और कौन अबन्धक है ? ॥ ३०५ ॥
असंजदसम्मादिटिप्पहुडि जाव अणियट्टी उवसमा बंधा । अणियट्टिउवसमद्धाए सेसे संखेज्जे भागे गंतूण बंधो वोच्छिज्जदि । एदे बंधा, अवसेसा अबंधा । ३०६ ॥
असंयतसम्यग्दृष्टिसे लेकर अनिवृत्तिकरण उपशमक तक बन्धक हैं। अनिवृत्तिकरण उपशमककालके शेषमें संख्यात बहुभाग जाकर बन्ध व्युछिन्न होता है। ये बन्धक हैं, शेष अबन्धक हैं ।।
माण-मायासंजलणाणं को बंधो को अबंधो ? ॥ ३०७॥ संज्वलन मान और मायाका कौन बन्धक है और कौन अबन्धक है ? ॥ ३०७ ॥
असंजदसम्मादिट्टिप्पहडि जाव अणियट्टी उवसमा बंधा । अणियट्टिउवसमद्धाए सेसे सेसे संखेज्जे भागे गंतूण बंधो वोच्छिज्जदि । एदे बंधा, अवसेसा अबंधा । ३०८ ॥
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