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४, २, ५, ९१ ] छक्खंडागमे वेयणाखंडं
[५७७ उससे त्रीन्द्रिय निर्वृत्तिपर्याप्तककी उत्कृष्ट अवगाहना संख्यातगुणी है ॥ ९० ॥ चउरिंदियणिव्वत्तिपज्जत्तयस्स उक्कस्सिया ओगाहणा संखेज्जगुणा ॥ ९१ ॥ उससे चतुरिन्द्रिय निर्वृत्तिपर्याप्तककी उत्कृष्ट अवगाहना संख्यातगुणी है ॥ ९१ ॥ बेइंदियणिव्वत्तिपज्जत्तयस्स उक्कस्सिया ओगाहणा संखेज्जगुणा ॥ ९२ ॥ उससे द्वीन्द्रिय निर्वृत्तिपर्याप्तककी उत्कृष्ट अवगाहना संख्यातगुणी है ।। ९२ ॥
बादरवणप्फदिकाइयपत्तेयसरीरणिव्वत्तिपज्जत्तयस्स उक्कस्सिया ओगाहणा संखेज्जगुणा ॥ ९३ ॥
उससे बादर वनस्पतिकायिक प्रत्येकशरीर निवृत्तिपर्याप्तककी उत्कृष्ट अवगाहना संख्यातगुणी है ॥ ९३ ॥
पंचिंदियणिव्वत्तिपज्जत्तयस्स उक्कस्सिया ओगाहणा संखेज्जगुणा ॥ ९४ ॥ उससे पंचेन्द्रिय निर्वृत्तिपर्याप्तककी उत्कृष्ट अवगाहना संख्यातगुणी है ॥ ९४ ॥
अब यहां प्रकृत अल्पबहुत्वमें जो संख्यातगुणित व असंख्यातगुणित रूपसे गुणकार कहा गया है वह कहां कितना विवक्षित है, इस प्रकार उसके प्रमाणकी प्ररूपणा की जाती है।
सुहुमादो सुहुमस्स ओगाहणगुणगारो आवलियाए असंखेज्जदिभागो ॥ ९५॥
एक सूक्ष्म जीवकी अवगाहनासे दूसरे सूक्ष्म जीवकी अवगाहनाका गुणकार आवलीका असंख्यातवां भाग है ।। ९५ ॥
सुहुमादो बादरस्स ओगाहणगुणगारो पलिदोवमस्स असंखेज्जदिभागो ॥ ९६ ॥
सूक्ष्म जीवकी अवगाहनासे बादर जीवकी अवगाहनाका गुणकार पल्योपमका असंख्यातवां भाग है ॥ ९६ ॥
बादरादो सुहुमस्स ओगाहणगुणगारो आवलियाए असंखेज्जदिभागो ॥ ९७ ॥
बादर जीवकी अवगाहनासे सूक्ष्मकी अवगाहनाका गुणकार आवलीका असंख्यातवां भाग है ॥ ९७ ॥
बादरादो बादरस्स ओगाहणगुणगारो पलिदोवमस्स असंखेज्जदिभागो ॥९८ ॥
एक बादरकी अवगाहनासे दूसरे बादरकी अवगाहनाका गुणकार पल्योपमका असंख्यातवां भाग है ।। ९८ ॥
__ जिनके बादर नामकर्मका उदय पाया जाता है वे बादर कहे जाते हैं। इस प्रकारके लक्षणसे यहां उस बादर नामकर्मसे संयुक्त द्वीन्द्रियादि जीवोंका भी ग्रहण समझना चाहिये । जहां एक बादर जीवकी अपेक्षा दूसरे बादर जीवकी अवगाहना असंख्यातगुणी कही गई है वहां असंख्यातसे पल्योपमके असंख्यातवें भागको ग्रहण करना चाहिये । छ. ७३
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