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४, २, ६, २७ ] वेयणमहाहियारे वेयणकालविहाणे सामित्तं
[५८५ इसका कारण यह है कि प्रकृतमें जघन्य कालवेदना-स्वरूपसे यह आठों ही कर्मोकी एक समयवाली एक स्थिति विवक्षित है।
उक्कस्सपदेण सव्वत्थोवा आउअवेयणा कालदो उक्कस्सिया ॥ २७ ॥ उत्कृष्ट पदके आश्रयसे कालकी अपेक्षा उत्कृष्ट आयुकी वेदना सबसे स्तोक है ॥ २७॥ णामा-गोदवेयणाओ कालदो उक्कस्सियाओ दो वि तुल्लाओ संखेज्जगुणाओ॥
उससे नाम व गोत्र कर्मकी कालसे उत्कृष्ट वे वेदनायें दोनों ही तुल्य व संख्यातगुणी हैं ॥ २८ ॥
णाणावरणीय-दंसणावरणीय चेयणीय-अंतराइयवेयणाओ कालदो उक्कस्सियाओ चत्तारि वि तुल्लाओ विसेसाहियाओ ॥ २९ ॥
उनसे ज्ञानावरणीय, दर्शनावरणीय, वेदनीय और अन्तराय कर्मकी कालसे उत्कृष्ट वेदनायें चारों ही तुल्य व विशेष अधिक हैं ॥ २९ ॥
मोहणीयस्स वेयणा कालदो उक्कस्सिया संखेज्जगुणा ॥ ३०॥ उनसे मोहनीय कर्मकी कालसे उत्कृष्ट वेदना संख्यातगुणी है ॥ ३० ॥
जहण्णुक्कस्सपदे अण्णेसिं [अट्ठणं] पि कम्माणं वेयणाओ कालदो जहणियाओ तुल्लाओ थोवाओ ॥ ३१॥
जघन्य उत्कृष्ट पदमें कालकी अपेक्षा आठों ही कर्मोकी जघन्य वेदनायें परस्पर तुल्य व स्तोक हैं ॥ ३१ ॥
आउअवेयणा कालदो उक्कस्सिया असंखेज्जगुणा ॥ ३२ ॥ उनसे आयु कर्मकी कालसे उत्कृष्ट वेदना असंख्यातगुणी है ॥ ३२ ॥ णामा-गोदवेयणाओ कालदो उक्कस्सियाओ दो वि तुल्लाओ संखेज्जगुणाओ ॥
उससे कालकी अपेक्षा उत्कृष्ट नाम व गोत्र कर्मकी वेदनायें दोनों ही तुल्य व संख्यातगुणी हैं ॥ ३३ ॥
णाणावरणीय -दंसणावरणीय-वेयणीय-अंतराइयवेयणाओ कालदो उक्कस्सियाओ चत्तारि वि तुल्लाओ विसेसाहियाओ ।। ३४ ॥
उनसे ज्ञानावरणीय, दर्शनावरणीय, वेदनीय और अन्तराय कर्मकी कालसे उत्कृष्ट वेदनायें चारों ही तुल्य व विशेष अधिक हैं ॥ ३४ ॥
मोहणीयवेयणा कालदो उक्कस्सिया संखेज्जगुणा ॥ ३५ ॥ इनसे मोहनीय कर्मकी कालसे उत्कृष्ट वेदना संख्यातगुणी है ॥३५॥ अल्पबहुत्व समाप्त हुआ ।
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