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कदिअणियोगद्दारे णयविभासणदा
[ ४, २-२, १
वेदनाप्राभृतका जानकार है, किन्तु तद्विषयक उपयोगसे रहित है वह आगमद्रव्यवेदना है। नोआगम-द्रव्यवेदना ज्ञायकशरीर, भावी व तद्व्यतिरिक्तके भेदसे तीन प्रकारकी है। उनमेंसे ज्ञायकशरीर-नोआगमद्रव्यवेदना भावी, वर्तमान और त्यक्तके भेदसे तीन प्रकारकी है। जो जीव भविष्यमें वेदनाअनुयोगद्वारके उपादान कारण स्वरूपसे परिणत होनेवाला है वह भावी नोआगमद्रव्यवेदना है। तद्व्यतिरिक्त नोआगमद्रव्यवेदना कर्म और नोकर्मके भेदसे दो प्रकारकी है। उनमेंसे कर्म नोआगमद्रव्यवेदना ज्ञानावरणादिके भेदसे आठ प्रकारकी तथा नोकर्म नोआगमद्रव्यवेदना सचित्त, अचित्त और मिश्रके भेदसे तीन प्रकारकी है। उनमेंसे सचित्त द्रव्यवेदना सिद्ध जीव द्रव्य है। अचित्त द्रव्यवेदना पुद्गल, काल, आकाश, धर्म और अधर्म द्रव्य हैं। मिश्र द्रव्यवेदना संसारी जीवद्रव्य है, क्यों कि कर्म और नोकर्मका जीवके साथ समवाय है वह जीव और अजीवसे भिन्न नहीं देखा जाता है।
. भाववेदना आगम और नोआगमके भेदसे दो प्रकारकी है। उनमेंसे जो जीव वेदनानुयोगद्वारका जानकार होकर उसमें उपयुक्त है वह आगमभाववेदना है। नोआगमभाववेदना जीवभाववेदना और अजीवभाववेदनाके भेदसे दो प्रकारकी है। उनमेंसे जीवभाववेदना औदयिक आदिके भेदसे पांच प्रकारकी है । आठ प्रकारके कर्मोके उदयसे उत्पन्न हुई वेदना औदयिक वेदना है । कर्मोंके उपशमसे उत्पन्न हुई वेदना औपशमिक वेदना है। उनके क्षयसे उत्पन्न हुई वेदना क्षायिक वेदना है। उनके क्षयोपशमसे उत्पन्न हुई अवधिज्ञानादिस्वरूप वेदना क्षायोपशमिक वेदना है । जीवत्व, भव्यत्व व उपयोग आदि स्वरूप वेदना पारिणामिक वेदना है। अजीवभाववेदना दो प्रकारकी है- औदयिक और पारिणामिक । उनमें प्रत्येक पांच रस, पांच वर्ण, दो गन्ध और आठ स्पर्श आदिके भेदसे अनेक प्रकारकी है ।
॥ वेदनानिक्षेप समाप्त हुआ ॥ १ ॥
२. वेयण-णयविभासणदा वेयण-णयविभासणदाए को णओ काओ वेयणाओ इच्छदि ॥१॥
वेदना-नयविभाषणता अधिकारके अनुसार कौन नय किन वेदनाओंको स्वीकार करता है ? ॥ १ ॥
पिछले वेदनानिक्षेप अनुयोगद्वारमें 'वेदना' शब्दके अनेक अर्थ निर्दिष्ट किये गये हैं। उनमें प्रकृतमें कौन-सा अर्थ ग्राह्य है, यह नयभेदोंकी अपेक्षा करता है । इसीलिये यहां यह वेदनानयविभाषणता अधिकार प्राप्त हुआ है ।
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