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arraeterit arणदव्वविहाणे सामित्तं
[ ४, २, ४, ६९
सूत्र निर्दिष्ट सर्वलघु काल से यहां सात मासोंका ग्रहण करना चाहिये । इस गर्भनिष्क्रमण रूप जन्मसे उत्पन्न होकर जो आठ वर्षका हुआ है । गर्भसे बाहिर आनेके प्रथम समय से लेकर आठ वर्ष बीत जानेपर जीव संयमग्रहणके योग्य होता है, इसके पहले संयम ग्रहणके योग्य नहीं होता; यह इस सूत्र का भाव समझना चाहिये ।
संजमं पडिवण्णो ॥ ६० ॥
संयमको प्राप्त हुआ || ६० ॥
तत्थ य भवट्ठिदिं पुत्रकोडिं देणं संजममणुपालइत्ता थोवावसेसे जीविदव्वए ति मिच्छत्तं गदो ॥ ६१ ॥
वहां कुछ कम पूर्वकोटि मात्र भवस्थिति काल तक संयमका पालन करके जीवित से थोडासा शेष रह जानेपर मिथ्यात्वको प्राप्त हुआ ॥ ६१ ॥
सव्वत्थोवाए मिच्छत्तस्स असंजमद्धाए अच्छिदो ॥ ६२ ॥
मिथ्यात्व सम्बन्धी असंयमकालमें सबसे स्तोक रहा ॥ ६२ ॥ मिच्छत्तेण कालगदसमाणो दसवास सहस्सा उडिदिएस देवेसु उववण्णो ॥ ६३ ॥ मिथ्यात्व के साथ मरणको प्राप्त होकर दस हजार वर्ष प्रमाण आयुस्थितिवाले देवों में उत्पन्न हुआ || ६३ ॥
अंतोमुहुत्रेण सव्वलहुं सव्वाहि पज्जत्तीहि पज्जत्तयदो ॥ ६४ ॥ वह सर्वलघु अन्तर्मुहूर्त कालमें सब पर्याप्तियोंसे हुआ || ६४ || अंतोमुहुत्तेण सम्मत्तं पडिवण्णो ।। ६५ ।।
तत्पश्चात् अन्तर्मुहूर्तमें सम्यक्त्वको प्राप्त हुआ || ६५ ॥
तत्थ य भवट्ठिदिं दसवाससहस्त्राणि देखणाणि सम्मत्तमणुपालइत्ता थोवावसेसे जीविदव्वए तिमिच्छत्तं गदो ॥ ६६ ॥
वह कुछ कम दस हजार वर्ष (भवस्थिति) तक सम्यक्त्वका पालन कर जीवितके थोडासा शेष रह जानेपर मिथ्यात्त्रको प्राप्त हुआ || ६६ ॥
मिच्छत्तेण कालगदसमाणो बादरपुढविजीवपज्जत्तएसु उबवण्णो ।। ६७ ।। मिथ्यात्व के साथ मृत्युको प्राप्त होकर बादर पृथिवीकायिक पर्याप्त जीवोंमें उत्पन्न हुआ || अंतोमुहुत्तेण सव्वलहुं सव्वाहि पज्जत्तीहि पज्जत्तयदो ॥ ६८ ॥
सर्वलघु अन्तर्मुहूर्त कालमें सब पर्याप्तियोंसे पर्याप्त हुआ ॥ ६८ ॥ अंतोमुहुत्तेण कालगदसमाणो सुहुमणि गोदजीव-पज्जत्तसु उववण्णो ।। ६९ ।। अन्तर्मुहूर्त कालके भीतर मरणको प्राप्त होकर सूक्ष्म निगोद पर्याप्त जीवों में उत्पन्न हुआ ||
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