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धेयणमहाहियारे वेयणदव्वविहाणे सामित्तं [४, २, ४, १३८ द्रव्यकी अपेक्षा जघन्य मोहनीयकी वेदना उक्त तीन घातिया कर्मोंकी वेदनासे विशेष अधिक है ॥ १२७ ॥
वेयणीयवेयणा दव्वदो जहणिया विसेसाहिया ॥ १२८ ॥ द्रव्यकी अपेक्षा जघन्य वेदनीयकी वेदना विशेष अधिक है ॥ १२८॥ उक्कस्सपदेण सव्वत्थोवा आउववेयणा दव्वदो उक्कस्सिया ॥ १२९ ॥ उत्कृष्ट पदके आश्रित द्रव्यकी अपेक्षा उत्कृष्ट आयुकी वेदना सबसे स्तोक है ।। १२९ ।। णामा गोदवेदणाओ दव्वदो उक्कस्सियाओ [दो वि तुल्लाओ] असंखेज्जगुणाओ॥
द्रव्यकी अपेक्षा उत्कृष्ट नाम व गोत्रकी वेदनायें दोनों ही समान होकर आयुकी वेदनासे असंख्यातगुणी हैं ॥ १३०॥
___णाणावरणीय-दंसणावरणीय-अंतराइयवेयणाओ दव्वदो उक्कस्सियाओ तिणि वि तुल्लाओ विसेसाहियाओ ॥ १३१ ॥
द्रव्यकी अपेक्षा उत्कृष्ट ज्ञानावरणीय, दर्शनावरणीय और अन्तराय कर्मोकी वेदनायें तीनों ही आपसमें तुल्य होकर उनसे विशेष अधिक हैं ॥ १३१ ॥
मोहणीयवेयणा दव्वदो उक्कस्सिया विसेसाहिया ॥ १३२ ॥ द्रव्यकी अपेक्षा उत्कृष्ट मोहनीयकी वेदना उनसे विशेष अधिक है ॥ १३२ ॥ वेदणीयवेयणा दव्वदो उक्कस्सिया विसेसाहिया ॥ १३३॥ द्रव्यकी अपेक्षा उत्कृष्ट वेदनीयकी वेदना उससे विशेष अधिक है ॥ १३३ ॥ जहण्णुक्कस्सपदेण सव्वत्थोवा आउववेयणा दव्वदो जहणिया ॥ १३४ ॥ जघन्योत्कृष्ट पदके आश्रयसे द्रव्यकी अपेक्षा जघन्य आयुकर्मकी वेदना सबसे स्तोक है । सा चेव उक्कस्सिया असंखेज्जगुणा ॥ १३५ ।। उसीकी उत्कृष्ट वेदना उससे असंख्यातगुणी हैं ॥ १३५ ॥ णामा-गोदवेदणाओ दव्वदो जहणियाओ [दो वि तुल्लाओ] असंखेज्जगुणाओ।
द्रव्यकी अपेक्षा जघन्य नाम व गोत्र कर्मकी वेदनायें दोनों ही तुल्य होकर उससे असंख्यातगुणी हैं ॥ १३६ ॥ णाणावरणीय दंसणावरणीय अंतराइयवेदणाओ दव्वदो जहणियाओ तिण्णि वि तुल्लाओ विसेसाहियाओ ॥ १३७ ॥
द्रव्यसे जघन्य ज्ञानावरणीय, दर्शनावरणीय और अन्तरायकी वेदनायें तीनों ही तुल्य व उनसे विशेष अधिक हैं ॥ १३७ ॥
मोहणीयवेयणा दव्वदो जहणिया विसेसाहिया ॥ १३८ ॥ द्रव्यसे जघन्य मोहनीयकी वेदना उनसे विशेष अधिक है ॥ १३८ ।।
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