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वेयणमहाहियारे वेयणखेत्तविहाणे अप्पाबहुगं [४, २, ५, ३६ वेदनीय, आयु, नाम और गोत्र इनकी क्षेत्रकी अपेक्षा उत्कृष्ट वेदनायें चारों ही समान व पूर्वकी उन वेदनाओंसे असंख्यातगुणी हैं ॥ २६ ॥
_ जहण्णुक्कस्सपदेण अट्ठण्णं पि कम्माणं वेदणाओ खेत्तदो जहणियाओ तुल्लाओ थोवाओ ॥ २७॥
जघन्योत्कृष्ट पदके आश्रित आठों ही कर्मोंकी क्षेत्रकी अपेक्षा जघन्य वेदनायें तुल्य व स्तोक हैं ॥ २७ ॥
___णाणावरणीय-दंसणावरणीय-मोहणीय-अंतराइयवेयणाओ खेत्तदो उक्कस्सियाओ चत्तारि वि तुल्लाओ असंखेज्जगुणाओ ।। २८ ।।
ज्ञानावरणीय, दर्शनावरणीय, मोहनीय और अन्तराय कर्मकी वेदनायें क्षेत्रकी अपेक्षा उत्कृष्ट चारों ही तुल्य व पूर्वोक्त वेदनाओंसे असंख्यातगुणी हैं ।। २८ ॥
वेदणीय-आउअ-गामा-गोदवेयणाओ खेत्तदो उक्कस्सियाओ चत्तारि वि तुल्लाओ असंखेज्जगुणाओ ॥ २९॥
वेदनीय, आयु, नाम और गोत्र इन चार कर्मोकी वेदनायें क्षेत्रकी अपेक्षा उत्कृष्ट चारों भी तुल्य व पूर्वोक्त वेदनाओंसे असंख्यातगुणित हैं ॥ २९ ॥
एत्तो सव्व जीवेसु ओगाहणमहादंडओ कायव्यो भवदि ॥ ३० ॥ अब यहां सब जीव समासोंमें यह अवगाहनामहादण्डक किया जाता है ॥ ३० ॥ सव्वत्थोवा सुहुमणिगोदजीवअपज्जत्तयस्स जहणिया ओगाहणा ॥ ३१ ॥ सूक्ष्म निगोद अपर्याप्तक जीवकी जघन्य अवगाहना सबसे स्तोक है ॥ ३१ ॥ सुहुमवाउक्काइयअपज्जत्तयस्स जहणिया ओगाहणा असंखेज्जगुणा ॥ ३२ ॥ उससे सूक्ष्म वायुकायिक अपर्याप्तकी जघन्य अवगाहना असंख्यातगुणी है ॥ ३२ ॥ सुहुमतेउकाइयअपज्जतयस्स जहणिया ओगाहणा असंखेज्जगुणा ॥ ३३ ॥ उससे सूक्ष्म तेजकायिक अपर्याप्तकी जघन्य अवगाहना असंख्यातगुणी है ॥ ३३ ॥ सुहुमआउक्काइयअपज्जत्तयस्स जहणिया ओगाहणा असंखेज्जगुणा ॥ ३४ ॥ उससे सूक्ष्म जलकायिक अपर्याप्तकी जघन्य अवगाहना असंख्यातगुणी है ॥ ३४ ॥ सुहुम पुढविकाइयअपज्जत्तयस्स जहणिया ओगाहणा असंखेज्जगुणा ॥ ३५ ॥ उससे सूक्ष्म पृथिवीकायिक अपर्याप्तकी जघन्य अवगाहना असंख्यातगुणी है ॥ ३५ ॥ बादरवाउक्काइयअपज्जत्तयस्स जहणिया ओगाहणा असंखेज्जगुणा ॥ ३६॥ उससे बादर वायुकायिक अपर्याप्तककी जघन्य अवगाहना असंख्यातगुणी है ॥ ३६ ॥
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