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३, १७१]
वेदमग्गणाए बंध-सामित्तं मिच्छाइड्डी सासणसम्माइट्ठी बंधा । एदे बंधा, अवसेसा अबंधा ॥ १६२ ॥ मिथ्यादृष्टि और सासादनसम्यग्दृष्टि बन्धक हैं । ये बन्धक हैं, शेष अबन्धक हैं ॥१६२॥ सादावेदणीयस्स को बंधो को अबंधो? ॥ १६३ ॥ सातावेदनीयका कौन बन्धक है और कौन अबन्धक है ? ॥ १६३ ॥
मिच्छाइट्ठी सासणसम्माइट्ठी असंजदसम्माइट्ठी सजोगिकेवली बंधा । एदे बंधा, अबंधा णत्थि ॥ १६४ ॥
___मिथ्यादृष्टि, सासादनसम्यग्दृष्टि, असंयतसम्यग्दृष्टि और सयोगिकेवली बन्धक हैं। ये बन्धक हैं, अबन्धक नहीं हैं ॥ १६४ ॥
मिच्छत्त-णqसयवेद-चउजादि-हुंडसंठाण-असंपत्तसेवट्टसंघडण-आदाव-थावर-सुहुमअपज्जत्त-साहारणसरीरणामाणं को बंधो को अबंधो ? ॥ १६५॥
मिथ्यात्व, नपुंसकवेद, चार जातियां, हुण्डसंस्थान, असंप्राप्तासृपाटिकासंहनन, आताप, स्थावर, सूक्ष्म, अपर्याप्त और साधारणशरीर नामकर्मका कौन बन्धक है और कौन अबन्धक है ? ॥
मिच्छाइट्ठी बंधा । एदे बंधा, अवसेसा अबंधा ॥ १६६ ॥ मिथ्यादृष्टि बन्धक हैं । ये बन्धक हैं, शेष अबन्धक है ॥ १६६ ॥
देवगइ-बेउब्बियसरीर-चेउब्वियसरीरंगोवंग-देवगइपाओग्गाणुपुब्वि-तित्थयरणामाणं को बंधो को अबंधो ? ॥ १६७ ॥
देवगति, वैक्रियिकशरीर, वैक्रियिकशरीरांगोपांग, देवगतिप्रायोग्यानुपूर्वी और तीर्थंकर नामकर्मका कौन बन्धक है और कौन अबन्धक हैं ? ॥ १६७ ॥
असंजदसम्मादिट्ठी बंधा । एदे बंधा, अवसेसा अबंधा ॥ १६८ ॥ असंयतसम्यग्दृष्टि बन्धक हैं । ये बन्धक हैं, शेष अबन्धक हैं ॥ १६८ ॥
वेदाणुवादेण इत्थिवेद-पुरिसवेद-णqसयवेदेसु पंचणाणावरणीय-चउदंसणावरणीयसादावेदणीय-चदुसंजलण-पुरिसवेद-जसकित्ति-उच्चागोद-पंचंतराइयाणं को बंधो को अबंधो॥
___ वेदमार्गणानुसार स्त्रीवेदी, पुरुषवेदी और नपुंसकवेदियोंमें पांच ज्ञानावरणीय, चार दर्शनावरणीय, सातावेदनीय, चार संज्वलन, पुरुषवेद, यशःकीर्ति, उच्चगोत्र और पांच अन्तराय; इनका कौन बन्धक और कौन अबन्धक है ? ॥ १६९ ॥.
मिच्छाइटिप्पहुडि जाव अणियट्टिउवसमा खवा बंधा । एदे बंधा, अबंधा णत्थि ।।
मिथ्यादृष्टि से लेकर अनिवृत्तिकरण उपशमक और क्षपक तक बन्धक हैं। ये बन्धक हैं, अबन्धक नहीं हैं ॥ १७० ॥
बेहाणी ओघं ॥ १७१ ॥
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