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अंतराणुगमे सम्मत्तमग्गणा समसमगणा
[ ४४३ सूक्ष्मसाम्परायिक-शुद्धिसंयत जीवोंका अन्तर कितने काल होता है ? ॥ ४२ ॥ उनका अन्तर जघन्यसे एक समय होता है ।। ४३ ॥ तथा उत्कर्षसे वह छह मास तक होता है ।
दंसणाणुवादेण चक्खुदंसणि-अचक्खुदंसणि-ओहिदंसणिकेवलदंसणीमंतरं केवचिरं कालादो होदि ? ॥ ४५ ॥ णत्थि अंतरं ॥ ४६ ॥ णिरंतरं ॥ ४७ ॥
___ दर्शनमार्गणाके अनुसार चक्षुदर्शनी, अचक्षुदर्शनी, अवधिदर्शनी और केवलदर्शनी जीवोंका अन्तर कितने काल होता है ? ॥४५॥ उनका अन्तर नहीं होता है ॥ ४६।। ये जीवराशिय निरन्तर हैं ॥ ४७ ॥
लेस्साणुवादेण किण्हलेस्सिय-णीललेस्सिय-काउलेस्सिय-तेउलेस्सिय-पम्मलेस्सियसुक्कलेंस्सियाणमंतर केवचिरं कालादो होदि १ ॥ ४८ ॥ णत्थि अंतरं ॥ ४९ ॥ णिरंतरं ॥
लेश्यामार्गणाके अनुसार कृष्णलेश्यावाले, नीललेश्यावाले, कापोतलेश्यावाले, तेजोलेश्यावाले, पालेश्यावाले और शुक्ललेझ्यावाले जीवोंका अन्तर कितने काल होता है ? ॥ ४८ ॥ उनका अन्तर नहीं होता है ॥ ४९ ॥ ये जीवराशियां निरन्तर हैं ॥ ५० ॥
__ भवियाणुवादेण भवसिद्धिय-अभवसिद्धियाणमंतरं केवचिरं कालादो होदि ? ॥५१॥ णत्थि अंतरं ॥ ५२ ॥ णिरंतरं ॥ ५३॥
भव्यमार्गणाके अनुसार भव्यसिद्धिक और अभव्यसिद्धिक जीवोंका अन्तर कितने काल होता है ? ॥ ५१ ॥ उनका अन्तर नहीं होता है ॥ ५२ ॥ वे जीवराशियां निरन्तर हैं ॥ ५३ ।।
सम्मत्ताणुवादेण सम्माइटि-खइयसम्माइद्वि-वेदगसम्माइट्ठि-मिच्छाइट्ठीणमंतरं केवचिरं कालादो होदि १ ॥ ५४॥ णत्थि अंतरं ॥ ५५ ॥ णिरंतरं ॥५६॥
सम्यक्त्वमार्गणाके अनुसार सम्यग्दृष्टि, क्षायिकसम्यग्दृष्टि, वेदकसम्यग्दृष्टि और मिथ्यादृष्टि जीवोंका अन्तर कितने काल होता है ? ॥ ५४ ॥ उनका अन्तर नहीं होता है ॥ ५५ ॥ वे जीवराशियां निरन्तर हैं ॥ ५६ ॥
उवसमसम्माइट्ठीणमंतरं केवचिरं कालादो होदि ? ॥ ५७ ॥ जहण्णेण एगसमयं ।। ५८ ॥ उक्कस्सेण सत्त रादिंदियाणि ॥ ५९ ॥
उपशमसम्यग्दृष्टि जीवोंका अन्तर कितने काल होता है ? ॥ ५७ ॥ उनका अन्तर जघन्यसे एक समय मात्र होता है ॥ ५८ ॥ तथा उत्कर्षसे वह सात रात-दिन प्रमाण होता है ।
सासणसम्माइट्ठि-सम्मामिच्छाइट्ठीणमंतरं केवचिरं कालादो होदि ? ॥ ६०॥ जहण्णेण एगसमयं ॥ ६१ ॥ उक्कस्सेण पलिदोवमस्स असंखेज्जदिभागो ॥ ६२ ॥
सासादनसम्यग्दृष्टि और सम्यग्मिथ्यादृष्टि जीवोंका अन्तर कितने काल होता है ? ॥६०॥ उनका अन्तर जघन्यसे एक समय मात्र होता है ॥६१ ॥ तथा उत्कर्षसे वह पल्योपमके असंख्यातवें भाग प्रमाण होता है ॥ ६२ ॥
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