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२, ११, ३३ ] अप्पाबहुगाणुगमे इंदियमग्गणा
[४५१ सव्वत्थोवा मणुसा ॥ २ ॥ णेरइया असंखेज्जगुणां ॥ ३॥ देवा असंखेज्जगुणा ॥४॥ सिद्धा अणंतगुणा ।। ५ ॥ तिरिक्खा अणंतगुणा ॥ ६॥
मनुष्य सबसे स्तोक हैं ॥ २ ॥ मनुष्योंसे नारकी असंख्यातगुणें हैं ॥ ३ ॥ नारकियोंसे देव असंख्यातगुणें हैं ॥४॥ देवोंसे सिद्ध अनन्तगुणे हैं ॥५॥ सिद्धोंसे तिर्यंच अनन्तगुणे हैं ॥६॥
अट्ठ गदीओ समासेण ॥ ७ ॥ संक्षेपसे गतियां आठ हैं ॥ ७ ॥
वे आठ गतियां इस प्रकार हैं- नारकी, तिर्यंच, तिर्यंचनी, मनुष्य, मनुष्यनी, देव, देवी और सिद्ध ।
सव्वत्थोवा मणुस्सिणीओ ॥ ८॥ मणुस्सा असंखेज्जगुणा ॥ ९॥ णेरइया असंखेज्जगुणा ॥ १० ॥ पंचिंदियतिरिक्खजोणिणीओ असंखेज्जगुणाओ ॥ ११॥ देवा संखेज्जगुणा ॥ १२ ॥ देवीओ संखेज्जगुणाओ ॥ १३ ।। सिद्धा अणंतगुणा ॥ १४ ॥ तिरिक्खा अणंतगुणा ॥ १५ ॥
मनुष्यनी सबसे स्तोक हैं ॥ ८ ॥ मनुष्यनियोंसे मनुष्य असंख्यातगुणे हैं ॥ ९ ॥ मनुष्योंसे नारकी असंख्यातगुणे हैं ॥ १० ॥ नारकियोंसे पंचेन्द्रिय योनिमती तिर्यंच असंख्यातगुणे हैं ॥ ११ ॥ योनिमती तिर्यंचोंसे देव संख्यातगुणे हैं ॥१२॥ देवोंसे देवियां संख्यातगुणी हैं ॥१३॥ देवियोंसे सिद्ध अनन्तगुणे हैं ॥ १४ ॥ सिद्धोंसे तिर्यंच अनन्तगुणे हैं ॥ १५ ॥
इंदियाणुवादेण सव्वत्थोवा पंचिंदिया ॥१६॥ चउरिंदिया विसेसाहिया ॥१७॥ तीइंदिया विसेसाहिया ॥ १८ ।। बीइंदिया विसेसाहिया ॥ १९ ॥ अणिंदिया अणंतगुणा ।। २० ।। एइंदिया अणंतगुणा ।। २१ ॥
इन्द्रियमार्गणाके अनुसार पंचेन्द्रिय सबसे स्तोक हैं ॥ १६ ॥ पंचेन्द्रियोंसे चतुरिन्द्रिय विशेष अधिक हैं ॥ १७ ॥ चतुरिन्द्रियोंसे त्रीन्द्रिय विशेष अधिक हैं ॥ १८ ॥ त्रीन्द्रियोंसे द्वीन्द्रिय विशेष अधिक हैं ॥ १९ ॥ द्वीन्द्रियोंसे अनिन्द्रिय जीव अनन्तगुणे हैं ॥ २० ॥ अनिन्द्रिय जीवोंसे एकेन्द्रिय जीव अनन्तगुणे हैं ॥ २१ ॥
इसी इन्द्रियमार्गणाके अनुसार अन्य प्रकारसे भी उस अल्पबहुत्वका निर्देश करते हैं- .
सव्वत्थोवा चउरिंदियपज्जत्ता ॥२२॥ पंचिंदियपज्जत्ता विसेसाहिया ।। २३॥ बीइंदियपज्जत्ता विसेसाहिया ॥ २४ ॥ तीइंदियपज्जत्ता विसेसाहिया ॥ २५ ॥ पंचिंदियअपज्जत्ता असंखेज्जगुणा ॥ २६ ॥ चउरिदियअपज्जत्ता विसेसाहिया ॥ २७ ॥ तीइंदियअपज्जत्ता विसेसाहिया ॥ २८॥ बीइंदियअपज्जत्ता विसेसाहिया ॥ २९ ॥ अणिंदिया अणंतगुणा ॥ ३० ॥ बादरेइंदियपज्जत्ता अणंतगुणा ॥३१॥ बादरेइंदियअपज्जत्ता असंखेज्जगुणा ॥ ३२ ॥ बादरेइंदिया विसेसाहिया ॥ ३३ ॥ सुहुमेइंदियअपज्जत्ता
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