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२, ११-२, ७१ ]
अप्पाबहुगाणुगमे महादंडओ
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उनसे पंचेन्द्रिय पर्याप्त
उनसे त्रीन्द्रिय पर्याप्त
पृथिवीके नारकी असंख्यातगुणे हैं ||२०|| उनसे शतार - सहस्रारकल्पवासी देव असंख्यातगुणे हैं ॥२१॥ उनसे शुक्र-महाशुक्रकल्पवासी देव असंख्यातगुणे हैं ॥ २२ ॥ उनसे पंचम पृथिवीके नारकी असंख्यात - गुंणे हैं ॥ २३ ॥ उनसे लान्तव- कापिष्टकल्पवासी देव असंख्यातगुणे हैं ॥ २४ ॥ उनसे चतुर्थ पृथिवीके नारकी असंख्यातगुणे हैं ||२५|| उनसे ब्रह्म ब्रह्मोत्तर कल्पवासी देव असंख्यातगुणे हैं ||२६|| उनसे तृतीय पृथिवीके नारकी असंख्यातगुणे हैं ॥ २७ ॥ उनसे माहेन्द्रकल्पवासी देव असंख्यातगुणे हैं ॥ २८ ॥ उनसे सानत्कुमारकल्पवासी देव संख्यातगुणे हैं ॥ २९ ॥ उनसे द्वितीय पृथिवीके नारकी असंख्यातगुणे हैं ॥ ३० ॥ उनसे मनुष्य अपर्याप्त असंख्यातगुणे हैं ॥ ३१ ॥ उनसे ईशानकल्पवासी देव असंख्यातगुणे हैं ॥ ३२ ॥ उनसे ईशानकल्पवासिनी देवियां संख्यातगुणी हैं ॥ ३३ ॥ उनसे सौधर्मकल्पवासी देव संख्यातगुणे हैं ||३४ ॥ उनसे सौधर्मकल्पवासिनी देवियां संख्यातगुणी हैं ॥३५॥ उनसे प्रथम पृथिवीके नारकी असंख्यातगुणे हैं ॥ ३६ ॥ उनसे भवनवासी देव असंख्यातगुणे हैं ॥ ३७ ॥ उनसे भवनवासिनी देवियां संख्यातगुणी हैं ॥ ३८ ॥ उनसे पंचेन्द्रिय तिर्यंच योनिमती असंख्यातगुणे हैं ॥ ३९ ॥ उनसे वानव्यन्तर देव संख्यातगुणे हैं ॥ ४० ॥ उनसे वानव्यन्तर देवियां संख्यातगुणी हैं ॥ ४१ ॥ उनसे ज्योतिषी देव संख्यातगुणे हैं ॥ ४२ ॥ उनसे ज्योतिषी देवियां संख्यातगुणी हैं ॥ ४३ ॥ उनसे चतुरिन्द्रिय पर्याप्त संख्यातगुणे हैं ॥ ४४ ॥ विशेष अधिक हैं ॥ ४५ ॥ उनसे द्वीन्द्रिय पर्याप्त विशेष अधिक हैं ॥ ४६ ॥ विशेष अधिक हैं ॥ ४७ ॥ उनसे पंचेन्द्रिय अपर्याप्त असंख्यातगुणे हैं ॥ ४८ ॥ उनसे चतुरिन्द्रिय अपर्याप्त विशेष अधिक हैं ॥ ४९ ॥ उनसे त्रीन्द्रिय अपर्याप्त विशेष अधिक हैं ॥ ५० ॥ उनसे न्द्रिय अपर्याप्त विशेष अधिक हैं ॥ ५१ ॥ उनसे बादर वनस्पतिकायिक प्रत्येकशरीर पर्याप्त असंख्यातगुणे हैं ॥ ५२ ॥ उनसे बादर निगोद जीव निगोदप्रतिष्ठित पर्याप्त असंख्यातगुणे हैं ॥५३॥ उनसे बादर पृथिवीकायिक पर्याप्त असंख्यातगुणे हैं ॥ ५४ ॥ उनसे बादर अप्कायिक पर्याप्त असंख्यातगुणे हैं ॥ ५५ ॥ उनसे बादर वायुकायिक पर्याप्त असंख्यातगुणे हैं ॥ ५६ ॥ उनसे बादर तेजकायिक अपर्याप्त असंख्यातगुणे हैं ॥ ५७ ॥ उनसे बादर वनस्पतिकायिक प्रत्येकशरीर अपर्याप्त असंख्यातगुणे हैं ||५८|| उनसे निगोद जीव बादर निगोदप्रतिष्ठित अपर्याप्त असंख्यातगुणे हैं ॥५९॥ उनसे बादर पृथिवीकायिक अपर्याप्त असंख्यातगुणे हैं ॥ ६० ॥ उनसे बादर अष्कायिक अपर्याप्त असंख्यातगुणे हैं ॥ ६१ ॥ उनसे बादर वायुकायिक अपर्याप्त असंख्यातगुणे हैं ॥ ६२ ॥ उनसे सूक्ष्मतेजकायिक अपर्याप्त असंख्यातगुणे हैं || ६३ ॥ उनसे सूक्ष्म पृथिवीकायिक अपर्याप्त विशेष अधिक हैं ॥ ६४ ॥ उनसे सूक्ष्म अप्कायिक अपर्याप्त विशेष अधिक हैं ॥ ६५ ॥ उनसे सूक्ष्म वायुकायिक अपर्याप्त विशेष अधिक हैं ॥ ६६ ॥ उनसे सूक्ष्म तेजकायिक पर्याप्त संख्यातगुणे हैं ॥ ६७ ॥ उनसे सूक्ष्म पृथिवीकायिक पर्याप्त विशेष अधिक हैं ॥ ६८ ॥ उनसे सूक्ष्म अप्कायिक पर्याप्त विशेष अधिक हैं ॥ ६९ ॥ उनसे सूक्ष्म वायुकायिक पर्याप्त विशेष अधिक हैं ॥ ७० ॥ उनसे अकायिक अनन्तगुणे हैं ॥ ७१ ॥
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