________________
२, ११, १२२]
अप्पाबहुगाणुगमे जोगमग्गणा
[४५५
निगोदप्रतिष्ठित बादर निगोद जीव अपर्याप्तोंसे बादर पृथिवीकायिक अपर्याप्त असंख्यातगुणे हैं ॥ ८७ ॥ बादर पृथिवीकायिक अपर्याप्तोंसे बादर अप्कायिक अपर्याप्त असंख्यातगुणे हैं ॥ ८८ ॥ बादर अप्कायिक अपर्याप्तोंसे बादर वायुकायिक अपर्याप्त असंख्यातगुणे हैं ॥ ८९ ॥ बादर वायुकायिक अपर्याप्तोंसे सूक्ष्म तेजकायिक अपर्याप्त असंख्यातगुणे हैं ॥ ९० ॥ सूक्ष्म तेजकायिक अपर्याप्तोंसे सूक्ष्म पृथिवीकायिक अपर्याप्त विशेष अधिक हैं ॥ ९१ ॥ सूक्ष्म पृथिवीकायिक अपर्याप्तोंसे सूक्ष्म अप्कायिक अपर्याप्त विशेष अधिक हैं ॥ ९२ ॥ सूक्ष्म अप्कायिक अपर्याप्तोंसे सूक्ष्म वायुकायिक अपर्याप्त विशेष अधिक हैं ॥ ९३ ॥ सूक्ष्म वायुकायिक अपर्याप्तोंसे सूक्ष्म तेजकायिक पर्याप्त संख्यातगुणे हैं ॥ ९४ ॥ सूक्ष्म तेजकायिक पर्याप्तोंसे सूक्ष्म पृथिवीकायिक पर्याप्त जीव विशेष अधिक हैं ॥ ९५॥ सूक्ष्म पृथिवीकायिक पर्याप्तोंसे सूक्ष्म अप्कायिक पर्याप्त विशेष अधिक हैं ॥ ९६ ॥ सूक्ष्म अप्कायिक पर्याप्तोंसे सूक्ष्म वायुकायिक पर्याप्त विशेष अधिक हैं ॥ ९७ ॥ सूक्ष्म वायुकायिक पर्याप्तोंसे अकायिक जीव अनन्तगुणे हैं ॥ ९८ ॥ अकायिक जीवोंसे बादर वनस्पतिकायिक पर्याप्त अनन्तगुणे हैं ॥ ९९ ।। बादर वनस्पतिकायिक पर्याप्तोंसे बादर वनस्पतिकायिक अपर्याप्त असंख्यातगुणे हैं । १०० ॥ बादर वनस्पतिकायिक अपर्याप्तोंसे बादर वनस्पतिकायिक विशेष अधिक हैं ॥१०१॥ बादर वनस्पतिकायिकोंसे सूक्ष्म वनस्पतिकायिक अपर्याप्त असंख्यातगुणे हैं ॥ १०२ ॥ सूक्ष्म वनस्पतिकायिक अपर्याप्तोंसे सूक्ष्म वनस्पतिकायिक पर्याप्त असंख्यातगुणे हैं ॥ १०३ ॥ सूक्ष्म वनस्पतिकायिक पर्याप्तोंसे सूक्ष्म वनस्पतिकायिक विशेष अधिक हैं ॥ १०४ ॥ सूक्ष्म वनस्पतिकायिकोंसे वनस्पतिकायिक विशेष अधिक हैं ॥ १०५ ॥ वनस्पतिकायिकोंसे निगोद जीव विशेष अधिक हैं ॥ १०६ ॥
जोगाणुवादेण सव्वत्थोवा मणजोगी ॥१०७॥ वचिजोगी संखेज्जगुणा ॥१०८॥ अजोगी अणंतगुणा ॥ १०९ ॥ कायजोगी अणंतगुणा ॥ ११० ॥
योगमार्गणाके अनुसार मनोयोगी सबसे स्तोक हैं ॥ १०७ ॥ मनोयोगियोंसे वचनयोगी संख्यातगुणे हैं ॥ १०८ ॥ वचनयोगियोंसे अयोगी अनन्तगुणे हैं ॥ १०९ ॥ अयोगियोंसे काययोगी अनन्तगुणे हैं ॥ ११० ॥
इसी योगमार्गणाका आश्रय करके यहां अन्य प्रकारसे भी अल्पबहुत्व कहा जाता है
सव्वत्थोवा आहारमिस्सकायजोगी ॥ १११ ॥ आहारकायजोगी संखेज्जगुणा ॥ ११२ ॥ वेउबियमिस्सकायजोगी असंखेज्जगुणा ॥११३॥ सच्चमणजोगी संखेज्जगुणा ॥११४।। मोसमणजोगी संखेज्जगुणा ॥११५॥ सच्च-मोसमणजोगी संखेज्जगुणा ॥११६॥ असच्च-मोसमणजोगी संखेज्जगुणा ॥११७॥ मणजोगी विसेसाहिया ॥११८॥ सच्चवचिजोगी संखेज्जगुणा ॥ ११९ ॥ मोसवचिजोगी संखेज्जगुणा ॥ १२० ॥ सञ्च-मोसवचिजोगी संखेज्जगुणा ।। १२१ ॥ वेउबियकायजोगी संखेज्जगुणा ॥ १२२ ॥ अमच्च
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org