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२, ११, ७५] अप्पाबहुगाणुगमे कायमग्गणा
[४५३ __ त्रसकायिक पर्याप्त जीव सबसे स्तोक हैं ॥ ४५ ॥ त्रसकायिक पर्याप्तोंसे त्रसकायिक अपर्याप्त असंख्यातगुणे हैं ॥ ४६ ॥ त्रसकायिक अपर्याप्तोंसे तेजकायिक अपर्याप्त असंख्यातगुणे हैं ॥ ४७ ॥ तेजकायिक अपर्याप्तोंसे पृथिवीकायिक अपर्याप्त विशेष अधिक हैं ॥ ४८ ॥ पृथिवीकायिक अपर्याप्तोंसे अप्कायिक अपर्याप्त विशेष अधिक हैं ॥ ४९॥ अप्कायिक अपर्याप्तोंसे वायुकायिक अपर्याप्त विशेष अधिक हैं ॥ ५० ॥ वायुकायिक अपर्याप्तोंसे तेजकायिक पर्याप्त संख्यातगुणे हैं ।। ५१ ॥ तेजकायिक पर्याप्तोंसे पृथिवीकायिक पर्याप्त विशेष अधिक हैं ॥ ५२ ॥ पृथिवीकायिक पर्याप्तोंसे अप्कायिक पर्याप्त विशेष अधिक हैं ॥ ५३ ॥ अप्कायिक पर्याप्तोंसे वायुकायिक पर्याप्त विशेष अधिक हैं ॥ ५४ ॥ वायुकायिक पर्याप्तोंसे अकायिक अनन्तगुणे हैं ॥ ५५ ॥ अकायिकोंसे वनस्पतिकायिक अपर्याप्त अनन्तगुणे हैं ॥ ५६ ॥ वनस्पतिकायिक अपर्याप्तोंसे वनस्पतिकायिक पर्याप्त संख्यातगुणे हैं ॥ ५७ ॥ वनस्पतिकायिक पर्याप्तोंसे वनस्पतिकायिक विशेष अधिक हैं ॥ ५८ ॥ वनस्पतिकायिकोंसे निगोद जीव विशेष अधिक हैं ॥ ५९ ॥
प्रकृत मार्गणाके आश्रयसे ही अन्य प्रकारसे भी उस अल्पवहुत्वको बतलाते हैं
सव्वत्थोवा तसकाइया ॥६०॥ बादरतेउकाइया असंखेज्जगुणा ॥६१ ॥ बादरवणप्फदिकाइयपत्तेयसरीरा असंखज्जगुणा ॥ ६२॥ बादरणिगोदजीवा णिगोदपदिद्विदा असंखेज्जगुणा ॥ ६३ ॥ बादरपुढविकाइया असंखेज्जगुणा ॥ ६४ ॥ बादरआउकाइया असंखेज्जगुणा ॥ ६५ ॥ बादरवाउकाइया असंखेज्जगुणा ॥६६॥ सुहुमतेउकाइया असंखेज्जगुणा ॥ ६७ ॥ सुहुमपुढविकाइया विसेसाहिया ॥ ६८॥ सुहुमआउकाइया विसेसाहिया ॥ ६९ ॥ सुहुमवाउकाइया विसेसाहिया ॥ ७० ॥ अकाइया अणंतगुणा ॥ ७१ ॥ बादरवणप्फदिकाइया अणंतगुणा ॥ ७२ ॥ सुहुमवणप्फदिकाइया असंखेज्जगुणा ॥७३॥ वणप्फदिकाइया विसेसाहिया ॥७४॥ णिगोदजीवा विसेसाहिया ॥
त्रसकायिक जीव सबसे स्तोक हैं ।। ६० ॥ त्रसकायिकोंसे बादर तेजकायिक असंख्यातगुणे हैं ॥ ६१ ॥ बादर तेजकायिकोंसे बादर वनस्पतिकायिक प्रत्येकशरीर असंख्यातगुणे हैं ॥२॥ बादर वनस्पतिकायिक प्रत्येकशरीरोंसे निगोदप्रतिष्ठित बादर निगोद जीव असंख्यातगुणे हैं ॥ ६३ ॥ निगोदप्रतिष्ठित बादर निगोद जीवोंसे बादर पृथिवीकायिक असंख्यातगुणे हैं ॥ ६४ ॥ बादर पृथिवीकायिकोंसे बादर अप्कायिक असंख्यातगुणे हैं ॥६५॥ बादर अकायिकोंसे बादर वायुकायिक असंख्यातगुणे हैं ॥ ६६ ॥ बादर वायुकायिकोंसे सूक्ष्म तेजकायिक असंख्यातगुणे हैं ।। ६७ ॥ सूक्ष्म तेजकायिकोंसे सूक्ष्म पृथिवीकायिक विशेष अधिक हैं ॥ ६८ ॥ सूक्ष्म पृथिवीकायिकोंसे सूक्ष्म अप्कायिक विशेष अधिक हैं ॥ ६९ ॥ सूक्ष्म अप्कायिकोंसे सूक्ष्म वायुकायिक विशेष अधिक हैं ॥ ७० ॥ सूक्ष्म वायुकायिकोंसे अकायिक अनन्तगुणे हैं ।। ७१ ॥ अकायिकोंसे बादर वनस्पतिकायिक अनन्तगुणे हैं ॥ ७२ ॥ बादर वनस्पतिकायिकोंसे सूक्ष्म वनस्पतिकायिक असंख्यातगुणे
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