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छक्खंडागमे खुद्दाबंधो
[ २, ७, १५३
विभंगज्ञानी जीवोंने स्वस्थान पदोंसे कितना क्षेत्र स्पर्श किये हैं ? ॥ १५० ॥ स्वस्थान पदोंसे उन्होंने लोकका असंख्यातवां भाग स्पर्श किया है ॥ १५१ ॥ तथा अतीत कालकी अपेक्षा उन्होंने कुछ कम आठ बटे चौदह भाग स्पर्श किये हैं ॥ १५२ ॥
समुग्धादेण केवडियं खेत्तं फोसिदं ? ।। १५३ || लोगस्स असंखेज्जदिभागो ।। १५४ ।। अट्ठ- चोहसभागा देखूणा फोसिदा ।। १५५ ।। सव्वलोगो वा ।। १५६ ।। समुद्घातकी अपेक्षा विभंगज्ञानी जीवोंने कितना क्षेत्र स्पर्श किया है ? ॥ १५३ ॥ समुद्घातकी अपेक्षा विभंगज्ञानी जीवोंने लोकका असंख्यातवां भाग स्पर्श किया है ॥ १५४ ॥ तथा अतीत कालकी अपेक्षा उन्होंने कुछ कम आठ बटे चौदह भाग स्पर्श किये हैं ।। १५५ ॥ अथवा मारणान्तिक समुद्घातकी अपेक्षा उन्होंने सर्व लोक स्पर्श किया है ।। १५६ ॥
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Baari for ।। १५७ ॥
विभंगज्ञानी जीवोंके उपपाद पद नहीं होता है ॥ १५७ ॥
आभिणिवो हि सुद-ओहिणाणी सत्याण - समुग्धा देहि केवडियं खेतं फोसिदं ? ।। १५८ ।। लोगस्स असंखेज्जदिभागो ।। १५९ ।। अट्ठ-चोदसभागा देगा ।। १६० ।। आभिनिबोधिकज्ञानी, श्रुतज्ञानी और अवधिज्ञानी जीवोंने स्वस्थान व समुद्घात पदोंसे कितना क्षेत्र स्पर्श किया है ? ॥ १५८ ॥ उपर्युक्त जीवोंने स्वस्थान और समुद्घात पदोंसे लोकका असंख्यातवां भाग स्पर्श किया है ॥ १५९ ॥ तथा अतीत कालकी अपेक्षा उन्होंने कुछ कम आठ बटे चौदह भाग स्पर्श किये हैं ॥ १६० ॥
खेतं फोसिदं १ ।। १६१ ।। लोगस्स असंखेज्जदिभागो ।। १६२ ।। छ - चोदसभागा देणा ।। १६३ ॥
उवादेहि केवडियं
उक्त जीवोंने उपपाद पदोंसे कितना क्षेत्र स्पर्श किया है ? ॥ १६९ ॥ उक्त जीवोंने तथा अतीत कालकी अपेक्षा
उपपाद पदोंसे लोकका असंख्यातवां भाग स्पर्श किया है ॥ १६२ ॥ उन्होंने कुछ कम छह बटे चौदह भाग स्पर्श किये हैं ॥ १६३ ॥
मापज्जवणाणी सत्थाण-समुग्वादेहि केवडियं खेत्तं फोसिदं १ ॥ १६४ ॥ लोगस्स असंखेज्जदिभागो ।। १६५ ।।
मनःपर्ययज्ञानी जीवोंने स्वस्थान और समुद्घात पदोंसे कितना क्षेत्र स्पर्श किया है ? ॥ १६४ ॥ स्वस्थान और समुद्धात पदोंसे उन्होंने लोकका असंख्यातवां भाग स्पर्श किया है |
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उववादं णत्थि ।। १६६ ॥
मन:पर्ययज्ञानियोंके उपपाद पद नहीं होता है ॥ १६६ ॥
केवलणाणी अवगदवेदभंगो ॥ १६७ ॥
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