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२, ८, २० ] . णाणाजीवेण कालाणुगमे जोगमग्गणा
[ ४३७ बादर एकेन्द्रिय पर्याप्त, बादर एकेन्द्रिय अपर्याप्त; सूक्ष्म एकेन्द्रिय, सूक्ष्म एकेन्द्रिय पर्याप्त, सूक्ष्म एकेन्द्रिय अपर्याप्त; द्वीन्द्रिय, त्रीन्द्रिय, चतुरिन्द्रिय और पंचेन्द्रिय तथा उनके पर्याप्त व अपर्याप्त जीव कितने काल रहते हैं ? ॥ १२ ॥ उपर्युक्त जीव सर्व काल रहते हैं ॥ १३ ॥
कायाणुवादेण पुढविकाइया, आउकाइया तेउकाइया वाउकाइया वणप्फदिकाइया णिगोदजीवा बादरा सुहुमा पज्जत्ता अपज्जत्ता बादरवणप्फदिकाइयपत्तेयसरीर-पज्जत्तापज्जत्ता तसकाइयपज्जत्ता अपज्जत्ता केवचिरं कालादो होति? ॥१४॥ सव्वद्धा ॥१५॥
कायमार्गणाके अनुसार पृथिवीकायिक, पृथिवीकायिक पर्याप्त, पृथिवीकायिक अपर्याप्त, बादर पृथिवीकायिक, बादर पृथिवीकायिक पर्याप्त, बादर पृथिवीकायिक अपर्याप्त, सूक्ष्म पृथिवीकायिक, सूक्ष्म पृथिवीकायिक पर्याप्त, सूक्ष्म पृथिवीकायिक अपर्याप्त, अप्कायिक, अप्कायिक पर्याप्त-अपर्याप्त, बादर अकायिक, बादर अष्कायिक पर्याप्त-अपर्याप्त, सूक्ष्म अप्कायिक, सूक्ष्म अप्कायिक पर्याप्तअपर्याप्त, तेजकायिक, तेजकायिक पर्याप्त-अपर्याप्त, बादर तेजकायिक, बादर तेजकायिक पर्याप्तअपर्याप्त, सूक्ष्म तेजकायिक, सूक्ष्म तेजकायिक पर्याप्त-अपर्याप्त; वायुकायिक, वायुकायिक पर्याप्तअपर्याप्त, बादर वायुकायिक, बादर वायुकायिक पर्याप्त-अपर्याप्त, सूक्ष्म वायुकायिक, सूक्ष्म वायुकायिक पर्याप्त-अपर्याप्त, वनस्पतिकायिक, वनस्पतिकायिक पर्याप्त-अपर्याप्त, बादर वनस्पतिकायिक, बादर वनस्पतिकायिक पर्याप्त-अपर्याप्त, सूक्ष्म वनस्पतिकायिक, सूक्ष्म वनस्पतिकायिक पर्याप्त-अपर्याप्त, निगोद जीव, निगोद जीव पर्याप्त-अपर्याप्त, बादर निगोद जीव, बादर निगोद जीव पर्याप्त-अपर्याप्त, सूक्ष्म निगोद जीव, सूक्ष्म निगोद जीव पर्याप्त अपर्याप्त, बादर वनस्पतिकायिकप्रत्येकशरीर, बादर बनस्पतिकायिकप्रत्येकशरीर पर्याप्त-अपर्याप्त, तथा त्रसकायिक और त्रसकायिक पर्याप्त-अपर्याप्त; ये सब जीव कितने काल रहते हैं ? ॥ १४ ॥ उपर्युक्त सब जीव सर्व काल रहते हैं ॥ १५ ॥
जोगाणुवादेण पंचमणजोगी पंचवचिजोगी कायजोगी ओरालियकायजोगी ओरालियमिस्सकायजोगी वेउब्वियकायजोगी कम्मइयकायजोगी केवचिरं कालादो होति ? ॥१६॥ सव्वद्धा ॥ १७ ॥
योगमार्गणाके अनुसार पांचों मनोयोगी, पांचों वचनयोगी, काययोगी, औदारिककाययोगी, औदारिकमिश्रकाययोगी, वैक्रियिककाययोगी और कार्मणकाययोगी जीव कितने काल रहते हैं ? ॥ १६ ॥ उपर्युक्त जीव सर्व काल रहते हैं ॥ १७ ॥
वेउव्वियमिस्सकायजोगी केवचिरं कालादो होति ? ॥ १८ ॥ जहण्णेण अतोमुहुत्तं ॥ १९ ॥ उक्कस्सेण पलिदोवमस्स असंखेज्जदिभागो ॥ २० ॥
__ वैक्रियिकमिश्रकाययोगी जीव कितने काल रहते हैं ? ॥ १८ ॥ वैक्रियिकमिश्रकाययोगियोंका जघन्य काल अन्तर्मुहूर्त है ॥ १९ ॥ तथा उनका उत्कृष्ट काल पल्योपमके असंख्यातवें भाग प्रमाण है ॥ २० ॥
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