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णाणाजीवेण कालानुगमे सण्णिमग्गणा
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सूक्ष्मसाम्परायिक-शुद्धिसंयत जीव कितने काल रहते हैं ? ॥ ३५ ॥ वे जघन्यसे एक समय रहते हैं || ३६ || तथा उत्कर्षसे वे अन्तर्मुहूर्त काल तक रहते हैं ॥ ३७ ॥
२, ८, ५३ ]
दंसणाणुवादेण चक्खुदंसणी अचक्खुदंसणी ओहिदंसणी केवलदंसणी केवचिरं कलादो त ? || ३८ ।। सव्वद्धा ।। ३९ ।।
दर्शनमार्गणा के अनुसार चक्षुदर्शनी, अचक्षुदर्शनी, अवधिदर्शनी और केवलदर्शनी जीव कितने काल रहते हैं ? ॥ ३८ ॥ वे सर्व काल रहते हैं ॥ ३९ ॥
लेस्सावादेण किहलेस्सिय- गीललेस्सिय काउलेस्सिय-तेउलिस्सिय-पम्मलेस्सियसुक्कलेस्सिया केवचिरं कालादो होंति ? ॥ ४० ॥ सव्वद्धा ॥ ४१ ॥
श्यामार्गणा के अनुसार कृष्णलेश्यावाले, नीललेश्यावाले, कापोतलेश्यावाले, तेजोलेश्यावाले, पद्मलेश्यावाले और शुक्ललेश्यावाले जीव कितने काल रहते हैं ||४०|| वे सर्व काल रहते हैं ? ॥४१॥ भवियाणुवादेण भवसिद्धिया अभवसिद्धिया केवचिरं कालादो होंति ? ॥ ४२ ॥ सव्वद्धा ।। ४३ ।
भव्यमार्गणाके अनुसार भव्यसिद्धिक और अभव्यसिद्धिक जीव कितने काल रहते हैं ? ॥ ४२ ॥ वे सर्व काल रहते हैं ॥ ४३ ॥
सम्मत्ताणुवादेण सम्माट्ठी खइयसम्माइट्ठी वेदगसम्माइट्ठी मिच्छाइट्ठी केवचिरं कलादो होंति ? ।। ४४ ।। सव्वद्धा ।। ४५ ।।
सम्यक्त्वमार्गणा के अनुसार सम्यग्दृष्टि, क्षायिकसम्यग्दृष्टि, वेदकसम्यग्दृष्टि और मिथ्यादृष्टि जीव कितने काल रहते हैं ? ४४ ॥ वे सर्व काल रहते हैं ॥ ४५ ॥
उवसमसम्माट्ठी सम्मामिच्छाइट्ठी केवचिरं कालादो होंति । ॥ ४६ ॥ जहणेण अंतोमुहुत्तं ।। ४७ ।। उक्कस्सेण पलिदोवमस्स असंखेज्जदिभागो ॥ ४८ ॥
उपशमसम्यग्दृष्टि और सम्यग्मिथ्यादृष्टि जीव कितने काल रहते हैं ॥ ४६ ॥ वे जघन्यसे अन्तर्मुहूर्त काल तक रहते ॥ ४७ ॥ उत्कर्ष से वे पल्योपमके असंख्यातवें भाग मात्र काल तक रहते हैं ॥ साससम्माट्ठी केवचिरं कालादो होंति १ ॥ ४९ ॥ जघण्णेण एगसमयं ॥ ५० ॥ उक्कस्सेण पलिदोवमस्स असंखेज्जदिभागो ।। ५१ ॥
सासादन सम्यग्दृष्टि जीव कितने काल रहते हैं ? ॥ ४९ ॥ सासादन सम्यग्दृष्टि जीव जघन्यसे एक समय रहते हैं ॥ ५० ॥ उत्कर्षसे वे पल्योपमके असंख्यातवें भाग मात्र काल तक रहते हैं ॥ ५१ ॥
सणियाणुवादेण सण्णी असण्णी केवचिरं कालादो होंति ? ।। ५२ ।। सव्वद्धा ॥ संज्ञीमार्गणा के अनुसार संज्ञी और असंज्ञी जीव कितने काल रहते हैं ? ॥ ५२ ॥ संज्ञी और असंज्ञी जीव सर्व काल रहते हैं ॥ ५३ ॥
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