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छक्खंडागमे खुद्दाबंधो
[ २, ८, २१ आहारकायजोगी केवचिरं कालादो होति? ॥२१॥ जहण्णेण एगसमयं ॥२२॥ उक्कस्सेण अंतोमुहुत्तं ॥ २३ ॥
__ आहारककाययोगी जीव कितने काल रहते हैं ? ॥ २१ ॥ आहारककाययोगी जीव जघन्यसे एक समय रहते हैं ॥ २२ ॥ तथा उत्कर्षसे वे अन्तर्मुहूर्त काल रहते हैं ॥ २३ ॥
आहारमिस्सकायजोगी केवचिरं कालादो होति ? ॥ २४ ॥ जहण्णेण अंतोमुहत्तं ॥ २५ ॥ उक्कस्सेण अंतोमुहुत्तं ॥ २६ ॥ - आहारकमिश्रकाययोगी जीव कितने काल रहते हैं ? ॥ २४ ॥ आहारकमिश्रकाययोगी जीव जघन्यसे अन्तर्मुहूर्त काल रहते हैं ॥२५॥ तथा उत्कर्षसे वे अन्तर्मुहूर्त काल रहते हैं ॥२६॥
वेदाणुवादेण इत्थिवेदा पुरिसवेदा गर्बुसयवेदा अवगदवेदा केवचिरं कालादो होति ? ॥ २७ ॥ सव्वद्धा ॥ २८ ॥
__ वेदमार्गणाके अनुसार स्त्रीवेदी, पुरुषवेदी, नपुंसकवेदी और अपगतवेदी जीव कितने काल रहते हैं ? ॥ २७ ॥ उपर्युक्त जीव सर्व काल रहते हैं ॥ २८ ॥
कसायाणुवादेण कोधकसाई माणकसाई मायकसाई लोभकसाई अकसाई केवचिरं कालादो होति ? ॥ २९ ॥ सव्वद्धा ॥ ३० ॥
कषायमार्गणाके अनुसार क्रोधकषायी, मानकषायी, मायाकषायी, लोभकषायी और अकषायी जीव कितने काल रहते हैं ? ॥ २९ ॥ उपर्युक्त चारों कषायोंवाले और अकषायी जीव सर्व काल ही रहते हैं ॥ ३० ॥
णाणाणुवादेण मदि-अण्णाणी सुद-अण्णाणी विभंगणाणी आभिणिवोहिय-सुदओहिणाणी मणपज्जवणाणी केवलणाणी केवचिरं कालादो होति ? ॥३१॥ सव्वद्धा ॥३२॥
ज्ञानमार्गणाके अनुसार मति-अज्ञानी, श्रुत-अज्ञानी, विभंगज्ञानी, आभिनिबोधिकज्ञानी, श्रुतज्ञानी, अवधिज्ञानी, मनःपर्ययज्ञानी और केवलज्ञानी जीव कितने काल रहते हैं ? ॥ ३१ ॥ वे सर्व काल रहते हैं ॥ ३२ ॥
संजमाणुवादेण संजदा सामाइयच्छेदोवट्ठावणसुद्धि-संजदा परिहार-सुद्धिसंजदा जहाक्खाद-विहार-सुद्धिसंजदा संजदासंजदा असंजदा केवचिरं कालादो होति ? ॥ ३३ ॥ सव्वद्धा ॥ ३४ ॥
संयममार्गणाके अनुसार संयत, सामायिक व छेदोपस्थापना-शुद्धिसंयत, परिहार-शुद्धि-संयत, यथाख्यात-विहार-शुद्धिसंयत, संयतासंयत और असंयत जीव कितने काल रहते हैं ? ॥ ३३ ॥ वे सर्व काल रहते हैं ॥ ३४ ॥
सुहुमसांपराइय-सुद्धिसंजदा केवचिरं कालादो होंति ? ॥ ३५ ॥ जहण्णेण एगसमयं ॥ ३६ ॥ उक्कस्सेण अंतोमुहुत्तं ॥ ३७॥
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