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४३६ ] छक्खंडागमे खुद्दाबंधो
[२, ८, १ ८. णाणाजीवेण कालाणुगमो णाणाजीवेण कालाणुगमेण गदियाणुवादेण णिरयगदीए णेरड्या केवचिरं कालादो होंति ? ॥१॥ सबद्धा ॥२॥
नाना जीवोंकी अपेक्षा कालानुगमसे गतिमार्गणाके अनुसार नरकगतिमें नारकी जीव कितने काल रहते हैं ? ॥ १ ॥ नाना जीवोंकी अपेक्षा नरकगतिमें नारकी जीव सर्व काल रहते हैं ॥२॥
एवं सत्तसु पुढवीसु णेरड्या ॥३॥ इसी प्रकार सातों पृथिवियोंमें नारकी जीव नाना जीवोंकी अपेक्षा सर्व काल रहते हैं ।
तिरिक्खगदीए तिरिक्खा पंचिंदियतिरिक्खा पंचिंदियतिरिक्खपज्जत्ता पंचिंदियतिरिक्खजोणिणी पंचिंदियतिरिक्ख-अपज्जत्ता मणुसगदीए मणुसा मणुसपज्जत्ता मणुसिणी केवचिरं कालादो होंति ? ॥ ४ ॥ सम्बद्धा ॥५॥
तियचगतिमें तिर्यंच, पंचेन्द्रिय तिर्यंच, पंचेन्द्रिय तिर्यंच पर्याप्त, पंचेन्द्रिय तिर्यंच योनिमती और पंचेन्द्रिय तिर्यंच अपर्याप्त तथा मनुष्यगतिमें मनुष्य, मनुष्य पर्याप्त और मनुष्यनी कितने काल रहते हैं ? ॥ ४ ॥ उपर्युक्त जीव सन्तानकी अपेक्षा वहां सर्व काल रहते हैं ॥ ५ ॥
मणुसअपज्जत्ता केवचिरं कालादो होति ? ॥६॥ जहण्णेण खुद्दाभवग्गहणं ॥७॥ उक्कस्सेण पलिदोवमस्स असंखेज्जदिभागो ॥ ८॥
मनुष्य अपर्याप्त जीव कितने काल रहते हैं ॥ ६ ॥ मनुष्य अपर्याप्त जघन्यसे क्षुद्रभवग्रहण काल तक रहते हैं ॥७॥ तथा उत्कर्षसे वे पल्योपमके असंख्यातवें भाग मात्र काल तक रहते हैं ॥ ८॥
देवगदीए देवा केवचिरं कालादो होंति ? ॥९॥ सम्बद्धा ॥१०॥ देवगतिमें देव कितने काल रहते हैं ? ॥९॥ देवगतिमें देव सर्व काल रहते हैं । एवं भवणवासियप्पहडि जाव सव्वट्ठसिद्धिविमाणवासियदेवा ॥११॥
इसी प्रकार भवनवासी देवोंसे लेकर सर्वार्थसिद्धि विमान तक सब देव सर्व काल ही रहते हैं ॥ ११ ॥
इंदियाणुवादेण एइंदिया बादरा हुमा पज्जत्ता अपज्जत्ता बीइंदिया तीइंदिया चउरिंदिया पंचिंदिया तस्सेव पज्जत्ता अपज्जत्ता केवचिरं कालादो होंति ? ॥१२॥ सव्वद्धा ॥ १३ ॥
इन्द्रियमार्गणाके अनुसार एकेन्द्रिय, एकेन्द्रिय पर्याप्त, एकेन्द्रिय अपर्याप्त; बादर एकेन्द्रिय,
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