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२, ७, २७८ ] फोसणाणुगमे आहारमग्गणा
[ ४३५ संज्ञी जीवोंने स्वस्थान पदोंसे लोकका असंख्यातवां भाग स्पर्श किया है ॥ २६५ ॥ अथवा, अतीत कालकी अपेक्षा उनके द्वारा कुछ कम आठ बटे चौदह भाग स्पर्श किये गये हैं ॥ २६६ ॥
समुग्धादेहि केवडियं खेतं फोसिदं ? ॥ २६७ ॥ लोगस्स असंखेज्जदिभागो ॥२६८ ॥ अट्ठ-चोद्दसभागा वा देसूणा ॥ २६९ ॥ सव्वलोगो वा ॥ २७० ॥
समुद्घातोंकी अपेक्षा संज्ञी जीवों द्वारा कितना क्षेत्र स्पृष्ट है ? ॥ २६७ ॥ संज्ञी जीवों द्वारा समुद्घात पदोंसे लोकका असंख्यातवां भाग स्पृष्ट है ॥ २६८ ॥ अथवा, अतीत कालकी अपेक्षा उनके द्वारा कुछ कम आठ बटे चौदह भाग स्पृष्ट हैं ।। २६९ ॥ अथवा, मारणान्तिक समुद्घातकी अपेक्षा उनके द्वारा सर्व लोक ही स्पृष्ट है ॥ २७० ॥
___उववादेहि केवडियं खेत्तं फोसिदं ? ॥ २७१ ॥ लोगस्स असंखेज्जदिभागो ॥२७२ ॥ सव्वलोगो वा ॥ २७३ ॥
उक्त संज्ञी जीवों द्वारा उपपादकी अपेक्षा कितना क्षेत्र स्पर्श किया गया है ? ॥२७१॥ उपपादकी अपेक्षा उनके द्वारा लोकका असंख्यातवां भाग स्पर्श किया गया है ॥ २७२ ॥ अथवा, अतीत कालकी अपेक्षा उनके द्वारा सर्व लोक ही स्पर्श किया गया है ।। २७३ ॥
असण्णी मिच्छाइट्ठिभंगो ॥ २७४ ॥ असंज्ञी जीवोंका स्पर्शनक्षेत्र मिथ्यादृष्टियोंके समान है ॥ २७४ ॥
आहाराणुवादेण आहारा सत्थाण-समुग्धाद-उववादेहि केवडियं खेत्तं फोसिदं ? ॥ २७५ ॥ सबलोगो ॥ २७६ ॥
आहारमार्गणानुसार आहारक जीवोने स्वस्थान, समुद्घात और उपपाद पदोंसे कितना क्षेत्र स्पर्श किया है ? ॥ २७५ ।। आहारक जीवोंने उक्त पदोंसे सर्व लोक स्पर्श किया है ॥२७६॥
अणाहारा केवडियं खेत्तं फोसिदं ? ॥ २७७ ॥ सव्वलोगो ॥ २७८ ॥
आहारक जीवोंने कितना क्षेत्र स्पर्श किया है ? ॥ २७७ ॥ अनाहारक जीवोंने सर्व लोक स्पर्श किया है ॥ २७८ ॥
म समाप्त हुआ ॥ ७ ॥
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