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२, ७, २४९ ]
फोसणाणुगमे सम्मत्तमग्गणा
[ ४३३
समुग्धादेहि केवडियं खेत्तं फोसिदं १ ।। २३२ || लोगस्स असंखेज्जदिभागो ॥ २३३ ॥ अट्ठ-चो६सभागा वा देणा ।। २३४ ।। असंखेज्जा वा भागा वा ।। २३५ ।। सव्वलोगो वा ।। २३६ ॥
क्षायिकसम्यग्दृष्टियों द्वारा समुद्घात पदोंसे कितना क्षेत्र स्पृष्ट है ? ॥ २३२ ॥ समुद्घात पदोंसे क्षायिकसम्यग्दृष्टियों द्वारा लोकका असंख्यातवां भाग स्पृष्ट है || २३३ ॥ अथवा, अतीत कालकी अपेक्षा कुछ कम आठ बटे चौदह भाग स्पृष्ट हैं ||२३४ ॥ अथवा, उक्त जीवोंके द्वारा प्रतर समुद्घातसे असंख्यात बहुभाग स्पृष्ट है || २३५ ॥ अथवा लोकपूरण समुद्घातसे उनके द्वारा सर्व लोक ही स्पृष्ट है ॥ २३६ ॥
उववादेहि केवडियं खेत्तं फोसिदं ? ।। २३७ || लोगस्स असंखेज्जदिभागो || उपपादकी अपेक्षा क्षायिकसम्यग्दृष्टि जीवों द्वारा कितना क्षेत्र स्पृष्ट है ? ॥ २३७ ॥ उपपादकी अपेक्षा क्षायिकसम्यग्दृष्टि जीवों द्वारा लोकका असंख्यातवां भाग स्पृष्ट है ॥ २३८ ॥
वेद सम्मादिट्टी सत्थाण- समुग्धादेहि केवडियं खेत्तं फोसिदं ? ।। २३९ ।। लोगस्स असंखेज्जदिभागो ।। २४० ।। अट्ठ- चोद सभागा वा देना ।। २४१ ।।
वेदकसम्यग्दृष्टि जीव स्वस्थान और समुद्घात पदोंसे कितना क्षेत्र स्पर्श करते हैं ? ॥ २३९ ॥ वेदकसम्यग्दृष्टि जीव स्वस्थान और समुद्घात पदोंसे लोकका असंख्यातवां भाग स्पर्श करते हैं || २४० ॥ अथवा, अतीत कालकी अपेक्षा वे कुछ कम आठ बटे चौदह भाग स्पर्श करते हैं ॥ २४९ ॥
उववादेहि केवडियं खेत्तं फोसिदं १ || २४२ ।। लोगस्स असंखेज्जदिभागो ।। २४३ ।। छ- चोद्दसभागा वा देखणा ।। २४४ ॥
उक्त वेदकसम्यग्दृष्टियों के द्वारा उपपाद पदोंसे कितना क्षेत्र स्पृष्ट है ? ॥ २४२ ॥ वेदकसम्यग्दृष्टियों द्वारा उपपाद पदसे लोकका असंख्यातवां भाग स्पृष्ट है ॥ २४३ ॥ अथवा, अतीत कालकी अपेक्षा उनके द्वारा कुछ कम छह बटे चौदह भाग स्पृष्ट हैं ॥ २४४ ॥
उवसमसम्माइट्ठी सत्थाणेहि केवडियं खेत्तं फोसिदं १ ।। २४५ ।। लोगस्स असंखेज्जदिभागो ।। २४६ ।। अट्ठ- चोदसभागा वा देसूणा ।। २४७ ।।
उपशमसम्यग्दृष्टि जीवों द्वारा स्वस्थान पदोंसे कितना क्षेत्र स्पृष्ट है ? ॥ २४५ ॥ उपशमसम्यग्दृष्टियोंके द्वारा स्वस्थान पदोंसे लोकका असंख्यातवां भाग स्पृष्ट है || २४६ ॥ अथवा, अतीत कालकी अपेक्षा उनके द्वारा कुछ कम आठ बटे चौदह भाग स्पृष्ट हैं ॥ २४७ ॥
समुग्धादेहि उववादेहि केवडियं खेत्तं फोसिदं ? ॥ २४८ ॥ लोगस्स असंखेज्जदिभागो ।। २४९ ।।
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