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छक्खंडागमे खुद्दाबंधो
[२, ७, ६३ उववादेहि केवडियं खेत्तं फोसिदं ? ॥ ६३ ॥ लोगस्स असंखेज्जदिभागो सव्वलोगो वा ॥ ६४॥
उपर्युक्त जीवोंके द्वारा उपपादकी अपेक्षा कितना क्षेत्र स्पृष्ट है ? ॥ ६३ ॥ उपपादकी अपेक्षा उनके द्वारा लोकका असंख्यातवां भाग अथवा सर्व लोक स्पृष्ट है ॥ ६४ ॥
___पंचिंदियअपज्जत्ता सत्थाणेण केवडियं खेत्तं फोसिदं ? ॥६५॥ लोगस्स असंखेज्जदिभागो ।। ६६ ॥
पंचेन्द्रिय अपर्याप्त जीव स्वस्थानकी अपेक्षा कितना क्षेत्र स्पर्श करते हैं ? ॥ ६५ ॥ स्वस्थानकी अपेक्षा वे लोकके असंख्यातवें भाग प्रमाण क्षेत्रका स्पर्श करते हैं ॥ ६६ ॥
समुग्घादेहि उववादेहि केवडियं खेत्तं फोसिदं ? ॥६७॥ लोगस्स असंखेज्जदिभागो ॥ ६८ ॥ सव्वलोगो वा ॥ ६९ ॥
पंचेन्द्रिय अपर्याप्त जीवोंके द्वारा समुद्घात और उपपाद पदोंकी अपेक्षा कितना क्षेत्र स्पृष्ट है ? ॥ ६७ ॥ पंचेन्द्रिय अपर्याप्त जीवों द्वारा उक्त दो पदोंकी अपेक्षा लोकका असंख्यातवां भाग स्पृष्ट है ॥ ६८ ॥ अथवा पंचेन्द्रिय अपर्याप्त जीवों द्वारा उन दो पदोंसे सर्व लोक स्पृष्ट है ।।
कायाणुवादेण पुढविकाइय-आउकाइय-तेउकाइय-वाउकाइय-सुहुमपुढविकाइयसुहुमआउकाइय-सुहुमतेउकाइय-हुमवाउकाइय तस्सेव पज्जत्ता अपज्जत्ता सत्थाणसमुग्घाद-उववादेहि केवडियं खेत्तं फोसिदं ? ॥ ७० ॥ सव्वलोगो ॥ ७१ ॥
कायमार्गणानुसार पृथिवीकायिक, अप्कायिक, तेजकायिक, वायुकायिक, सूक्ष्म पृथिवीकायिक, सूक्ष्म अप्कायिक, सूक्ष्म तेजकायिक, सूक्ष्म वायुकायिक और उन्हींके पर्याप्त व अपर्याप्त जीव स्वस्थान, समुद्धात और उपपाद पदोंकी अपेक्षा कितना क्षेत्र स्पर्श करते हैं ? ॥ ७० ॥ उपर्युक्त जीव उक्त पदोंकी अपेक्षा सर्व लोक स्पर्श करते हैं ॥ ७१ ॥
बादरपुढविकाइय - बादरआउकाइय - बादरतेउकाइय - बादरवणप्फदिकाइयपत्तेयसरीरा तस्सेव अपज्जत्ता सत्थाणेहि केवडियं खेत्तं फोसिदं? ॥७२॥ लोगस्स असंखेज्जदिभागो ॥७३॥
बादर पृथिवीकायिक, बादर अप्कायिक, बादर तेजकायिक, बादर वनस्पतिकायिक प्रत्येकशरीर और उन्हींके अपर्याप्त जीव स्वस्थान पदोंसे कितना क्षेत्र स्पर्श करते हैं ? ॥ ७२ ॥ उपयुक्त जीव स्वस्थान पदोंसे लोकका असंख्यातवां भाग स्पर्श करते हैं ॥ ७३ ॥
समुग्घाद-उववा देहि केवडियं खेत्तं फोसिदं? ॥७४॥ लोगस्स असंखेज्जदिभागो ॥७५॥ सव्वलोगो वा ॥ ७६ ॥
समुद्घात और उपपाद पदोंसे उक्त जीवों द्वारा कितना क्षेत्र स्पृष्ट है ? ॥ ७४ ॥
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