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४१६ ] छक्खंडागमे खुद्दाबंधो
[२, ६,१११ समुग्धादेण लोगस्स असंखेज्जदिमागे असंखेज्जेसु वा भागेसु सव्वलोगे वा ।।
उक्त सम्यग्दृष्टि व क्षायिकसम्यग्दृष्टि जीव समुद्घातकी अपेक्षा लोकके असंख्यातवें भागमें, अथवा असंख्यात बहुभागोंमें, अथवा सर्व लोकमें रहते हैं ॥ १११ ॥
वेदगसम्माइट्ठी उवसमसम्माइट्ठी सासणसम्माइट्ठी सत्थाणेण समुग्धादेण उववादेण केवडिखेत्ते ? ॥ ११२ ॥ लोगस्स असंखेज्जदिभागे ॥ ११३ ।।
वेदकसम्यग्दृष्टि, उपशमसम्यग्दृष्टि और सासादनसम्यग्दृष्टि जीव स्वस्थान, समुद्घात और उपपादकी अपेक्षा कितने क्षेत्रमें रहते हैं ? ॥११२॥ उक्त पदोंकी अपेक्षा वे लोकके असंख्यातवें भागमें रहते हैं ॥ ११३ ॥ ..
सम्मामिच्छाइट्ठी सत्थाणेण केवडिखेत्ते ? ॥११४।। लोगस्स असंखेज्जदिभागे ॥
सम्यग्मिथ्यादृष्टि जीव स्वस्थानकी अपेक्षा कितने क्षेत्रमें रहते हैं ? ॥ ११४ ॥ सम्यग्मिथ्यादृष्टि जीव स्वस्थानसे लोकके असंख्यातवें भागमें रहते हैं ॥ ११५ ॥
मिच्छाइट्ठी असंजदभंगो ॥ ११६ ॥ मिथ्यादृष्टि जीवोंका क्षेत्र असंयत जीवोंके समान है ॥ ११६ ॥
सणियाणुवादेण सण्णी सत्थाणेण समुग्घादेण उववादेण केवडिखेत्ते ? ॥११७॥ लोगस्स असंखेजदिभागे ॥ ११८ ॥
संज्ञीमार्गणाके अनुसार संज्ञी जीव स्वस्थान, समुद्घात व उपपाद पदोंसे कितने क्षेत्रमें रहते हैं ? ॥ ११७ ॥ संज्ञी जीव उक्त तीनों पदोंसे लोकके असंख्यातवें भागमें रहते हैं ॥११८॥
असण्णी सत्थाणेण समुग्धादेण उववादण केवडिखेत्ते ? ॥११९॥ सव्वलोगे॥
असंज्ञी जीव स्वस्थान, समुद्घात व उपपाद पदोंसे कितने क्षेत्रमें रहते हैं ? ॥ ११९॥ असंज्ञी जीव उक्त तीनों पदोंसे सर्व लोकमें रहते हैं ॥ १२० ॥
आहाराणुवादेण आहारा सत्थाणेण समुग्घादेण उववादेण केवडिखेत्ते? ॥१२१॥ सव्वलोगे ॥ १२२ ॥
आहारमार्गणानुसार आहारक जीव स्वस्थान, समुद्घात और उपपाद पदोंसे कितने क्षेत्रमें रहते हैं ? ॥ १२१ ॥ आहारक जीव उक्त तीनों पदोंसे सर्व लोकमें रहते हैं ॥ १२२ ॥
अणाहारा केवडिखेत्ते ? ॥ १२३ ॥ सबलोगे ॥ १२४ ॥
अनाहारक जीव कितने क्षेत्रमें रहते हैं ? ॥ १२३ ॥ अनाहारक जीव सर्व लोकमें रहते हैं ॥ १२४ ॥
॥ क्षेत्रानुगम समाप्त हुआ ॥ ६ ॥
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