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२, ७, ३८] फोसणाणुगमे गदिमग्गणा
[ ४१९ देवगतिमें देवोंके द्वारा स्वस्थान पदोंसे कितना क्षेत्र स्पृष्ट है ? ॥ २५ ॥ स्वस्थान पदोंसे उनके द्वारा लोकका असंख्यातवां भाग, अथवा कुछ कम आठ बटे चौदह भाग स्पृष्ट हैं ।
समुग्धादेण केवडियं खेत्तं फोसिदं १ ॥ २७ ॥ लोगस्स असंखेज्जदिभागो अट्ठ-णवचोदसभागा वा देसूणा ।। २८ ॥
देवोंके द्वारा समुद्घातकी अपेक्षा कितना क्षेत्र स्पृष्ट है ? ॥२७॥ समुद्घातकी अपेक्षा उनके द्वारा लोकका असंख्यातवां भाग, अथवा कुछ कम आठ बटे चौदह और नौ बटे चौदह भाग स्पृष्ट हैं ॥२८॥
उववादेहि केवडियं खेत्तं फोसिदं ? ॥ २९ ॥ लोगस्स असंखेज्जदिभागो छ-चोदसभागा वा देसूणा ॥ ३०॥
उपपादकी अपेक्षा देवों द्वारा कितना क्षेत्र स्पृष्ट है ? ॥२९॥ उपपादकी अपेक्षा देवोंके द्वारा लोकका असंख्यातवां भाग, अथवा कुछ कम छह बटे चौदह भाग स्पृष्ट हैं ॥ ३० ॥
भवणवासिय-वाण-तर-जोइसियदेवा सत्थाणेहि केवडियं खेत्तं फोसिदं? ॥३१॥ लोगस्स असंखेज्जदिभागो अद्धट्ठा वा अट्ठ-चोद्दस भागा वा देसूणा ॥ ३२ ॥
भवनवासी, वानव्यन्तर और ज्योतिषी देवोंके द्वारा स्वस्थान पदोंसे कितना क्षेत्र स्पृष्ट है ? ॥ ३१ ॥ उपर्युक्त देवोंके द्वारा स्वस्थान पदोंसे लोकका असंख्यातवां भाग, अथवा चौदह भागोंमें साढ़े तीन भाग, अथवा कुछ कम आठ बटे चौदह भाग स्पृष्ट हैं ॥ ३२ ॥
समुग्धादण केवडियं खेत्तं फोसिदं १ ॥ ३३ ॥ लोगस्स असंखेज्जदिभागो अद्भुट्टा वा अट्ट-णवचोद्दस भागा वा देसूणा ॥ ३४ ॥
___ समुद्घातकी अपेक्षा उपर्युक्त देवों द्वारा कितना क्षेत्र स्पृष्ट है ? ॥ ३३ ॥ समुद्घातकी अपेक्षा उपर्युक्त देवों द्वारा लोकका असंख्यातवां भाग, अथवा चौदह भागोंमें कुछ कम साढ़े तीन भाग, अथवा आठ व नौ भाग स्पृष्ट हैं ॥ ३४ ॥
उववादेहि केवडियं खेत्तं फोसिदं? ॥ ३५॥ लोगस्स असंखेज्जदिभागो ॥३६॥
उपपाद पदकी अपेक्षा उक्त देवों द्वारा कितना क्षेत्र स्पृष्ट है ? ॥ ३५॥ उपपाद पदकी अपेक्षा उनके द्वारा लोकका असंख्यातवां भाग स्पृष्ट है ॥ ३६ ॥
सोहम्मीसाणकप्पवासियदेवा सत्थाण-समुग्धादं देवगदिभंगो ॥ ३७॥
स्वस्थान और समुद्घातकी अपेक्षा सौधर्म व ईशान कल्पवासी देवोंके स्पर्शनकी प्ररूपणा देवगतिके समान है ॥ ३७॥
उववादेहि केवडियं खेत्तं फोसिदं ? लोगस्स असंखेज्जदिभागो दिवड्ढ-चोदसभागा वा देसूणा ॥ ३८॥
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