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छक्खंडागमे खुद्दाबंधो
[२, ७, १४
___ तिर्यंचगतिमें तिर्यंच जीवोंने स्वस्थान, समुद्धात और उपपाद पदोंसे कितना क्षेत्र स्पर्श किया है ? ॥ १२ ॥ तिर्यंचगतिमें तिर्यंचोंने उक्त पदोंसे सर्व लोक स्पर्श किया है ॥ १३ ॥
पंचिंदियतिरिक्ख-पंचिंदियतिरिक्खपज्जत्त-पंचिंदियतिरिक्खजोणिणि-पंचिंदियतिरिक्खअपज्जत्ता सत्थाणेण केवडियं खेत्तं फोसिदं?॥१४॥ लोगस्स असंखेज्जदिभागो॥
__ पंचेन्द्रिय तिर्यंच, पंचेन्द्रिय तिर्यंच पर्याप्त, पंचेन्द्रिय तिर्यंच योनिमती और पंचेन्द्रिय तिर्यंच अपर्याप्त जीवों द्वारा कितना क्षेत्र स्पृष्ट है ? ॥ १४ ॥ उपर्युक्त चार प्रकारके तिर्यंचों द्वारा स्वस्थान पदसे लोकका असंख्यातवां भाग स्पृष्ट है ॥ १५॥
समुग्घाद-उववादेहि केवडियं खेत्तं फोसिदं ? ॥ १६ ॥ लोगस्स असंखेज्जदिभागो सबलोगो वा ॥ १७ ॥
__ उक्त चार प्रकारके पंचेन्द्रिय तिर्यंचों द्वारा समुद्घात व उपपाद पदोंकी अपेक्षा कितना क्षेत्र स्पृष्ट है ? ॥ १६ ॥ उक्त पदोंसे उनके द्वारा लोकका असंख्यातवां भाग, अथवा सर्व लोक स्पृष्ट है ॥ १७ ॥
___ मणुसगदीए मणुसा मणुसपज्जत्ता मणुसिणीओ सत्थाणेहि केवडियं खेत्तं फोसिदं ? ॥ १८ ॥ लोगस्स असंखेजदिभागो ॥ १९ ॥
मनुष्यगतिमें मनुष्य, मनुष्य पर्याप्त व मनुष्यनियों द्वारा स्वस्थान पदोंसे कितना क्षेत्र स्पृष्ट है ? ॥ १८ ॥ स्वस्थानसे उनके द्वारा लोकका असंख्यातवां भाग स्पृष्ट है ॥ १९ ॥
समुग्घादेण केवडियं खेत्तं फोसिदं ? ॥ २०॥ लोगस्स असंखेज्जदिभागो असंखेज्जा वा भागा सव्वलोगो वा ॥ २१ ॥
उपर्युक्त मनुष्योंके द्वारा समुद्घातकी अपेक्षा कितना क्षेत्र स्पृष्ट है ? ॥ २० ॥ समुद्घातकी अपेक्षा उनके द्वारा लोकका असंख्यातवां भाग, अथवा असंख्यात बहुभाग, अथवा सर्व लोक स्पृष्ट है ॥ २१ ॥
उववादेहि केवडियं खेत्तं फोसिदं ? ।। २२ ॥ लोगस्स असंखेज्जदिभागो सव्वलोगो वा ॥ २३॥
उपर्युक्त मनुष्योंके द्वारा उपपाद पदकी अपेक्षा कितना क्षेत्र स्पृष्ट है ? ॥ २२ ।। उपपाद पदकी अपेक्षा उनके द्वारा लोकका असंख्यातवां भाग, अथवा सर्व लोक स्पृष्ट है ॥ २३ ॥
मणुस-अपज्जत्ताणं पंचिंदिय-तिरिक्ख-अपज्जत्ताणं भंगो ।। २४ ॥ मनुष्य अपर्याप्तोंके स्पर्शनकी प्ररूपणा पंचेन्द्रिय तिर्यंच अपर्याप्तोंके समान है ॥ २४ ॥
देवगदीए देवा सत्थाणेहि केवडियं खेत्तं फोसिदं ? ॥ २५ ॥ लोगस्स असंखेज्जदिभागो अट्ठ-चोद्दस भागा वा देसूणा ॥ २६ ॥
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