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२, २, १९] ___ एगजीवेण कालाणुगमे गदिमग्गणा
[३६१ तिर्यंचगतिमें जीव तिर्यंच कमसे कम एक क्षुद्रभवग्रहण काल रहता है ॥ ११ ॥ यह जघन्य काल तिर्यंच लब्ध्यपर्याप्तकोंमें पाया जाता है। उक्कस्सेण अणंतकालमसंखेज्जपोग्गलपरियढें ॥ १२॥
तिर्यंचगतिमें जीव तिर्यंच अधिकसे अधिक असंख्यात पुद्गलपरिवर्तन प्रमाण अनन्त काल तक रहता है ॥ १२ ॥
पंचिंदियतिरिक्ख-पंचिंदियतिरिक्खपज्जत्त-पंचिंदियतिरिक्खजोणिणी केवचिरं कालादो होति १ ॥१३॥
___ जीव पंचेन्द्रिय तिर्यंच, पंचेन्द्रिय तिर्यंच पर्याप्त और पंचेन्द्रिय तिर्यंच योनिमती कितने काल रहते हैं ? ॥ १३ ॥ ___ जहण्णेण खुद्दाभवग्गहणं अंतोमुहुत्तं ॥ १४ ॥
जीव कमसे कम क्षुद्रभवग्रहण काल और अन्तर्मुहूर्त काल तक पंचेन्द्रिय तिर्यंच, पंचेन्द्रिय तियंच पर्याप्त और पंचेन्द्रिय तिर्यंच योनिमती रहते हैं ॥ १४ ॥
अभिप्राय यह है कि पंचेन्द्रिय तिर्यंचोंका जघन्य काल क्षुद्रभवग्रहण प्रमाण तथा पंचेन्द्रिय तिर्यंच पर्याप्त व पंचेन्द्रिय तिर्यंच योनिमती इन दोनोंका जघन्य काल अन्तर्मुहूर्त प्रमाण है। चूंकि सामान्य तिर्यंचोंमें अपर्याप्त जीवोंकी भी सम्भावना है, अतएव उनका वह जघन्य काल सूत्रमें क्षुद्रभवग्रहण प्रमाण निर्दिष्ट किया गया है।
उक्कस्सेण तिण्णि पलिदोवमाणि पुव्वकोडिपुधत्तेणब्भहियाणि ॥१५॥
जीव पंचेन्द्रिय तिर्यंच, पंचेन्द्रिय तिर्यंच पर्याप्त और पंचेन्द्रिय तिर्यंच योनिमती अधिकसे अधिक पूर्वकोटिपृथक्त्वसे अधिक तीन पल्योपम प्रमाण काल तक रहते हैं ॥ १५॥
पूर्वकोटिपृथक्त्वसे यहां क्रमसे पंचानबै (९५), सैंतालीस (४७) और पन्द्रह (१५) पूर्वकोटियोंको ग्रहण करना चाहिये ।
पंचिंदियतिरक्खअपज्जत्ता केवचिरं कालादो होति ? ॥ १६ ॥ जीव पंचेन्द्रिय तिर्यंच अपर्याप्त कितने काल रहते हैं ? ॥ १६ ॥ जहण्णेण खुद्दाभवग्गहणं ॥ १७ ॥ जीव पंचेन्द्रिय तिर्यंच अपर्यास कमसे कम क्षुद्रभवग्रहण काल तक रहते हैं ॥ १७ ॥ उक्कस्सेण अंतोमुहुत्तं ॥ १८ ॥ जीव पंचेन्द्रिय तिर्यंच अपर्याप्त अधिकसे अधिक अन्तर्मुहूर्त काल तक रहते हैं ॥१८॥ मणुसगदीए मणुसा मणुसपज्जत्ता मणुसिणी केवचिरं कालादो होंति ? ॥ १९ ॥ मनुष्यगतिमें जीव मनुष्य, मनुष्य पर्याप्त और मनुष्यिनी कितने काल रहते हैं ? ॥१९॥
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